यूपीएससी आईएएस और यूपीपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए उत्तर लेखन अभ्यास कार्यक्रम: पेपर - III (सामान्य अध्ययन-2: शासन व्यवस्था, संविधान शासन-प्रणाली, सामाजिक न्याय और अंतर्राष्ट्रीय संबंध) - 04, जुलाई 2020


यूपीएससी आईएएस और यूपीपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए उत्तर लेखन अभ्यास कार्यक्रम (Answer Writing Practice for UPSC IAS & UPPSC/UPPCS Mains Exam)


मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम:

  • पेपर - III: सामान्य अध्ययन- II: शासन व्यवस्था, संविधान शासन-प्रणाली, सामाजिक न्याय और अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रश्न - संसद में प्रस्तावित डेटा प्रोटेक्शन बिल 2019 , के प्रावधानों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (250 शब्द)

मॉडल उत्तर:

  • परिचय
  • प्रस्तावित डेटा प्रोटेक्शन बिल 2019 के प्रावधान
  • प्रस्तावित डेटा प्रोटेक्शन बिल के विपक्ष में तर्क
  • प्रस्तावित डेटा प्रोटेक्शन बिल के पक्ष में तर्क
  • निष्कर्ष

परिचय

पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल व्यक्तिगत डेटा की गोपनीयता की रक्षा करने और विनियमों के लिए भारतीय डेटा संरक्षण प्राधिकरण (DPAI) को स्थापित करने का प्रावधान करता है। संसद में पारित होने से पूर्व इस बिल की जांच संयुक्त सीमिति द्वारा की जा रही है।

प्रस्तावित डेटा प्रोटेक्शन बिल 2019 के प्रावधान

इस बिल के निम्नलिखित प्रावधान हैं।

  • यह विधेयक (i) सरकार (ii) भारत में निगमित कंपनियां (iii) विदेशी कम्पनियों द्वारा व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण को नियंत्रित करता है।
  • यह विधेयक डेटा फिडयुशरी (Fiduciary) के प्रावधान को बढ़ावा देता है। डेटा फिडयुशरी एक ईकाई या व्यक्तिहोता है जो व्यक्तिगत डेटा कोसंग्रहित करने के साधन और उद्देश्यों को तय करता है।
  • यह वियेयक केवल व्यक्तियों द्वारा सहमति प्रदान किए जाने पर ही डेटा के प्रसंस्करण की अनुमति देता है। केवल कुछ विशेष परिस्थितियों में, व्यक्तिगत डेटा को सहमति के बिनाभी संग्रहित किया जा सकता है।
  • यह विधेयक व्यक्तियों के हितों की रक्षा करने, व्यक्तिगत डेटा के दुरूप्रयोग को रोकने, अनुपालन सुनिश्चित करने और डेटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी ऑफ इण्डिया (डी पी ए आई) की स्थापना का प्रावधान करता है।
  • यदि व्यक्ति द्वारा सहमति प्रदान की जाती है तो संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा प्रसंस्करण के लिए भारत से बाहर स्थानांतरित किया जा सकता है हालांकि, इस तरह के संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा को भारत में संग्रहित किया जाना चाहिए।

डेटा प्रोटेक्शन बिल 2019, के विपक्ष में तर्क

  • वियेयक तीन श्रेणियों में व्यक्तियों के डेटा को श्रेणीबद्ध करता है- संकटग्रस्त (Critical), संवेदनशील (Sensitive) तथा सामान्य। सरकार डेटा के संग्रहणतक पूर्ण पहुँच उपलब्ध करनेके लिए स्वंय या किसी एजेंसी को अनुमति दे सकती है।
  • यह प्रावधान सरकार को कुछ विशेष मामलों में उपयोगकर्ता को कुछ विशिष्ट डेटा साझा करने के लिए किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक, गूगल, व्हाटसएप, ट्विटरऔर अन्य को आदेश देने की अनुमति देगा।
  • मसौदे की इसलिए भी आलोचना की जा रही है कि, यदि आवश्यक हुआ तो संबंधित उपयोगकर्ता से सहमति प्राप्त किए बिना भी डेटा संग्रहित किया जा सकेगा।
  • सरकारी सेवाओं के वितरण और नीति निर्माण में मदद करने के लिए बिना सहमति के गैर-व्यक्तिगत डेटा भी प्राप्त किया जा सकता है।
  • इस बिल की इस आधार पर भी आलोचना की जा रही है कि, इस अधिनियम के सभी या कोई भी प्रावधान ऐसे किसी निजी डेटा के प्रसंस्करण के संबंध में सरकार की किसी भी ऐजेंसी पर लागू नहीं होंगे।
  • इस प्रकार से यह सरकार को अपने नागरिकों के डेटा को वृहद स्तर पर संग्रहित करने की छूट देती है। जिसका प्रयोग सामान्यतः शासन की जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए है, परन्तुऐसी शंका है कि इसका प्रयोग निगरानी हेतु किया जा सकता है।

डेटा संरक्षण विधेयक के 2019 के पक्ष में तर्क

  • विधेयक का एक मुख्य प्रावधान, डेटा के उल्लंघन में सम्मिलित कंपनियों के लिए दंड का प्रावधान है। क्योंकि ये कंपनियां नागरिकों के गोपनीय डेटा को प्रभावित करती हैं।
  • डेटा सुरक्षा के लिए, कंपनियों पर डेटा उल्लघंन के लिए उन पर भारी अर्थ दंड का प्रावधान किया गया है।
  • डेटा स्थानीयकरण अपराधों की जांच की प्रक्रिया में सहायक होगा, जिससे आंतरिक सुरक्षा में सहायता मिलेगी।
  • यह बिल भारत में डेटा प्रोसेसिंग शुरू करने के लिए संस्थाओं को प्रोत्साहित करता है। इससे भारत के डेटा रिफाइनरी के क्षेत्र में, विश्व के सबसे बड़े केन्द्रों में से एक बनने की उम्मीद की जा रही है।

निष्कर्ष

पुहास्वामीवाद में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि निजता का अधिकार एक मूल अधिकार है और व्यक्तिगत डेटा को सूचनात्मक गोपनीयता के आवश्यक पहलू के रूप में संरक्षित करना आवश्यक है। हालांकि पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2019, नागरिकों की गोपनीयता को सुनिश्चित करने का प्रयास करता है। फिर भी ड्राफ्ट बिल में कई समस्यायें हैं, जिसे सरकार को दूर करने काप्रयास करना चाहिए।

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