यूपीएससी आईएएस और यूपीपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए उत्तर लेखन अभ्यास कार्यक्रम: पेपर - III (सामान्य अध्ययन-2: शासन व्यवस्था, संविधान शासन-प्रणाली, सामाजिक न्याय और अंतर्राष्ट्रीय संबंध) - 18, जुलाई 2020


यूपीएससी आईएएस और यूपीपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए उत्तर लेखन अभ्यास कार्यक्रम (Answer Writing Practice for UPSC IAS & UPPSC/UPPCS Mains Exam)


मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम:

  • पेपर - III: सामान्य अध्ययन- II: शासन व्यवस्था, संविधान शासन-प्रणाली, सामाजिक न्याय और अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रश्न - महिलाओं की सुरक्षा तथा रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए, इस परिपेक्ष्य में, महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए भारत सरकार द्वारा किये गये प्रयासों का परीक्षण कीजिए। (शब्द 250)

मॉडल उत्तर:

  • परिचय
  • सरकार द्वारा महिलाओं के विरूद्ध होने वाली हिंसा को रोकने के लिए प्रारम्भ की गई पहलों का उल्लेख कीजिए।
  • महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए मार्ग में आने वाली प्रमुख चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
  • निष्कर्ष

परिचय

आज महिलाओं के खिलाफ हिंसा सबसे आम अपराधों में से एक है। ये महिलाओं तथा लड़कियों के मौलिक अधिकारों का हनन है। ये हिंसा शारीरिक तथा मानसिक किसी भी प्रकार की हो सकती है। भारत में सरकार द्वारा महिलाओं की रक्षा तथा सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है, और उनके खिलाफ होने वाली हिंसा से निपटने के लिए सरकार द्वारा कई महत्वपूर्ण कदम उठाये गए हैं।

  • महिलाओं के विरूद्ध होने वाली हिंसा को रोकने के लिए सरकार द्वारा किए गये प्रयास - महिलाओं के खिलाफ हिंसा, समानता, विकास, शांति तथा महिलाओं के मानवाधिकारों की पूर्ति के मार्ग में एक बाधा है। महिलाओं के विरूद्ध होने वाली हिंसा को समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा निम्नलिखित कदम उठाये गये हैं।
  • प्री-नेटल डायगनोस्टिक तकनीक (रेगुलेशन एंड प्रिवेंशन ऑफ मिस्यूज) अधिनियम - 1994 - इस अधिनियम में भ्रूण के लिंग की जांच कराने के इरादे से किए जानेवाले अल्ट्रासाउंड को गैर कानूनी मान कर प्रतिबंधित किया गया है।
  • घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 -इस अधिनियम को महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए प्रारंभ किया गया था। यह मुख्य रूप से दहेज की किसी मांग को पूरा करने के लिए या उस महिला से संबंधित किसी अन्य व्यक्ति के साथ दहेज की प्रताड़ना को रोकने के लिए लाया गया था।
  • कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 - इस अधिनियम को प्रत्येक कामकाजी महिलाओं के लिए सभी प्रकार के उत्पीड़न (शारीरिक तथा मानसिक) से मुक्त रखने के लिए तथा सुरक्षित वातावरण प्रदान करने के लिए लाया गया था। यह अधिनियम विशाखा जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप था।
  • बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 - इस अधिनियम में बाल विवाह कराना, बाल विवाह को प्रोत्साहित करना, आदि को दंडनीय अपराध माना गया है।
  • वन स्टॉप सेंटर्स-सखी -  इसे केंद्र सरकार द्वारा हिंसा से प्रभावित महिलाओं को चिकित्सा सहायता, पुलिस सहायता, अस्थायी आश्रय जैसी अन्य सेवाओं को प्रदान करने के लिए एकीकृत श्रेणी के रूप में प्रारंभ किया गया था।
  • निर्भया फंड - यह महिलाओं की रक्षा तथा सुरक्षा के लिए प्रारंभ किया गया एक गैर उत्तरदायी कोष है।
  • भारत सरकार द्वारा महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए कई अन्य पहलें की गई है जिनमें महिला हेल्पलाइन नंबर 181, एन ए आर आई पोर्टल, ऑनलाइन टैक्सी सेवाओं में पैनिक बटन, ट्रोलिंग विरोधी प्रतिक्रिया आदि प्रमुख हैं।

महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा को समाप्त करने के लिए मार्ग में आने वाली प्रमुख चुनौतियां-

  • बाल यौन शोषण के बारे में विभिन्न मिथकों तथा अंधविश्वासों ने बाल हिंसा को बढ़ावा दिया है। इस प्रकार के मिथक हिंसा को समाप्त करने की दिशा में प्रमुख बाधा है। सामान्यतः कहा जाता है कि भारतीय परिवारों में बाल दुव्यर्यव्हार नहीं होता है परन्तु आंकड़ों के आधार पर यह गलत साबित होता है।
  • भारत में भावनात्मक और मानसिक हिंसा को हिंसा की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। हिंसा के दायरे को व्याप्क बनाने की जरूरत है, ताकि महिलाओं से संबंधित मुद्दों से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।
    महिलाओं के खिलाफ अपराधों को समाप्त करने के लिए महिलाओं को जागरूक करने की आवश्यकता है जिससे वे अपने विरूद्ध होने वाली हिंसा के खिलाफ पुलिस शिकायत कर सकें। हालांकि हाल के दिनों में इसमें वृद्धि हुई है परन्तु अभी भी बहुत कुछ किये जाने की आवश्यकता है।
  • पुलिस को और अधिक संवेदनशीलता से रेप, बाल शोषण आदि से संबंधित मामलों को संभालने की आवश्यकता है, पुलिस बल को और अधिक संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है, इसके लिए विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन करने की आवश्यकता है, जिससे वे नैतिक आधार पर समस्याओं को सुलझा सकें।
  • बच्चों को अच्छे स्पर्श और बुरे स्पर्श के बीच अंतर के विषय में नहीं पता होता है। माता-पिता और स्कूल के अधिकारियों को इन छोटी-छोटी बातों के विषय में कम उम्र में बच्चों को जागरूक करने की आवश्यकता है।
  • अपराध के बारे में लोगों में जागरूकता की कमी कई बार उन्हें अपराध करने के लिए प्रेरित करती है।

निष्कर्ष -

सतत विकास लक्ष्य (एस डी जी) 2 को प्राप्त करने के लिए, महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन, लैंगिक समानता और महिलाओं के सशक्तीकरण को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। भारत सरकार महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है, और समय केसाथ भारत इस लक्ष्य को भी प्राप्त कर लेगा।