ब्लॉग : ब्रिटेन और रूस में बढ़ता तनाव, राजनयिक संबंध ख़त्म होने का डर by विवेक ओझा

ब्रिटेन में रूस के राजदूत के हाल ही दिए बयान से दोनों देशों के संबंधों में तनाव के बिंदु नजर आ रहे हैं । रूस के राजदूत का कहना है कि दोनों देशों के कूटनीतिक संबंध अब लगभग मृत प्राय हैं जब ब्रिटेन ने अपने सुरक्षा प्रतिरक्षा विदेश नीति की सामरिक समीक्षा करते हुए रूस को अति गम्भीर प्रत्यक्ष खतरा कह दिया है।

लंदन स्थित रूसी राजदूत आंद्रेई केलिन ने 21 मार्च को ब्रिटेन के खिलाफ जवाबी हमला करते हुए कहा कि ब्रिटेन का अपने परमाणु हथियारों में बढ़ोतरी करने का फैसला अंतरराष्ट्रीय समझौतों का उल्लंघन है।

ब्रिटेन की रक्षा प्रतिरक्षा और विदेश नीति से जुड़ी सामरिक रिपोर्ट से पता चलता है कि ब्रिटेन 2030 तक अपने परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ा कर 260 तक ले जाएगा। अभी उसके पास ऐसे 180 हथियार हैं।

ब्रिटेन ने अपने इस फैसले की वजह रूस से पैदा हो रहे कथित खतरे को बताया है। ब्रिटेन का आरोप है कि 2018 में रूस ने ब्रिटिश धरती पर एक पूर्व केजीबी (रूसी खुफिया एजेंसी) एजेंट की हत्या करा दी, जबकि एक की हत्या की नाकाम कोशिश की। इसके अलावा उसने ब्रिटेन के कोरोना वायरस संबंधी रिसर्च को हैक करने और 2019 के ब्रिटिश आम चुनाव में दखल देने की कोशिश भी की।

वर्ष 2018 में रूस के विदेश मंत्रालय ने 50 ब्रिटिश राजनयिकों और टेक्निकल सपोर्ट स्टॉफ को रूस निलंबित करने का निर्णय किया था , इससे पहले ब्रिटेन ने रूस के 23 राजनयिकों को अपने यहां से निलंबित कर निकाल दिया था क्योंकि रूस पर एक नर्व एजेंट नोवीचोक के जरिए ब्रिटिश धरती पर एक खुफिया जासूस और उसकी बेटी की हत्या का आरोप लगाया गया था।

ब्रिटेन के नए परमाणु हथियार बनाने से संभावित असंतुलन को देखते हुए रूस भी अपने हथियारों में इजाफा कर सकता है। तब उसका अमेरिका क साथ असंतुलन पैदा होगा, जिसे भरने के लिए अमेरिका को भी नए परमाणु हथियार निर्माण की तरफ बढ़ने की स्थिति पैदा हो जाएगी। इससे दुनिया और खास कर यूरोप में नए तनाव पैदा होंगे।

आश्चर्य की बात यह है कि यह सब एक ऐसे समय में हो रहा है जब फरवरी , 2021 में अमेरिका ने रूस के साथ नाभिकीय अस्त्र शस्त्रों में कटौती करने वाले नई स्टार्ट संधि को पांच वर्षों के लिए बढ़ा दिया है। इस संधि को 4 फरवरी , 2026 तक के लिए बढ़ाने का निर्णय अमेरिका और रूस ने किया है। इसमें अंतरमहाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइलों की संख्या 700 तक सीमित रखने की बात की गई है।

अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट एंटोनी ब्लिंकेन का कहना था कि अमेरिकी राष्ट्रपति अमेरिकी जनता को नाभिकीय खतरों से सुरक्षित रखना चाहते हैं , इसलिए शस्त्र नियंत्रण और हथियार अप्रसार के उद्देश्य से रूस के साथ इस कदम को उठाया गया है। 2010 में हुए नए स्टार्ट संधि में यह प्रावधान किया गया था कि दोनों देश अपने नाभिकीय आयुधों की संख्या अधिकतम 1550 तक ही रखेंगे।

भारत ने हाल ही में परमाणु हथियारों के भंडार को सीमित करने को लेकर अमेरिका एवं रूस के बीच परमाणु आयुध समझौते (न्यू स्टार्ट संधि) की अवधि को पांच साल के लिए बढ़ाने का स्वागत किया है। हमें आशा है कि यह अंतर्राष्ट्रीय अप्रसार और निरस्त्रीकरण मुद्दों के समाधान में मदद के लिए बातचीत और सहयोग को बढ़ावा देगा।

क्रीमिया मुद्दे पर ब्रिटेन रूस आमने सामने :

ब्रिटेन और रूस के संबंधों में तल्खी का उदाहरण इस बात से भी देखा जा सकता है कि ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने फरवरी , 2021 में प्रेस रिलीज जारी कर स्पष्ट किया कि वह यूक्रेन के क्रीमिया पर रूस के अवैध नियंत्रण का लगातार विरोध करता रहेगा । इसी क्रम में ब्रिटेन ने क्रीमिया में रहने वाले यूक्रेनी नागरिकों के जीवन में सुधार के लिए एक नए प्रोजेक्ट की घोषणा की है ब्रिटेन ने यूएन ह्यूमन राइट्स मॉनिटरिंग मिशन को पिछले वर्ष 7 लाख पौंड दिए ताकि इस मिशन के तहत क्रीमिया में मानवाधिकार उल्लंघनो पर सटीक निगरानी रखी जा सके , साथ ही उसका पर्दाफाश भी किया जा सके। ब्रिटेन ने साफ कर दिया है कि वह यूक्रेन की संप्रभुता और प्रादेशिक अखंडता की सुरक्षा के लिए यूक्रेन का सहयोग समर्थन प्रदान करता रहेगा।

ब्रिटेन इस प्रोजेक्ट के लिए 1 लाख 68 हज़ार पौंड का वित्तीय योगदान करेगा । इसके जरिए खेरसन क्षेत्र के आस पास के इलाकों में स्थानीय प्राधिकारियों को मदद दी जाएगी कि वो क्षेत्र में हॉस्पिटल न जा पाने वाले लोगों और साथ ही यूक्रेन के पासपोर्ट के लिए आवेदन करने वाले लोगों की मदद कर सकें। ब्रिटेन ने नए इंटरनेशनल क्रिमियन प्लेटफार्म का भी स्वागत किया है जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय को क्रीमिया के समर्थन और सहयोग हेतु एक मंच पर ले आयेगा।

10 दिसम्बर , 2020 को विश्व मानवाधिकार दिवस के दिन ब्रिटेन ने अपने ग्लोबल ह्यूमन राइट्स सैंक्शंस रेजीम के तहत रूस के तीन राजनयिकों पर यात्रा प्रतिबंध और परिसंपत्ति जब्ती का निर्णय किया । ब्रिटेन ने रूस के टेरेक स्पेशल रैपिड रिस्पॉन्स यूनिट के खिलाफ भी ऐसी ही कार्यवाही की है क्योंकि इसे रूस के चेचेन्या में एलजीबीटी समुदाय के लोगों के मानवाधिकार उल्लंघन और उन पर अत्याचार करने का दोषी पाया गया है। इससे ब्रिटेन का रूस के प्रति आक्रामक सोच का पता चलता है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ...

इसी दौरान रूस ने ब्रिटेन से रूस को होने वाली हवाई यात्राओं पर भी 16 अप्रैल तक रोक लगाने का निर्णय किया है। कोरोना वायरस के संक्रमण की संभावना का हवाला देते हुए रूस ने ऐसा निर्णय किया है । इससे पहले भी 22 दिसंबर , 2020 से 16 मार्च 2021 तक रूस ने ब्रिटेन से रूस की सभी हवाई यात्राओं को निलंबित कर दिया था।

गौरतलब है कि अमेरिका ने 2017 में पहले से ही सीएएटीएसए ( काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट ) के तहत रूस को शत्रु देश और प्रत्यक्ष खतरा घोषित कर रखा है । अभी कुछ रोज पूर्व ही अमेरिका के नए राष्ट्रपति बाइडेन ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन को हत्यारा करार दे दिया था और बदले में रूस ने भी उन्हें उसी उपाधि से नवाजा । रूसी राष्ट्रपति पुतिन का कहना था जो जिसके लिए जैसा गलत कहता है वह भी वैसा ही होता है ।

अमेरीका रूस और ब्रिटेन तीनों नाभिकीय शक्ति संपन्न राष्ट्र हैं। नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन यानि नाटो के जरिए अमेरिका और ब्रिटेन के सुरक्षा संबंधी साझे हित रहे हैं वहीं रूस ईरान , चीन जैसे देशों के साथ नजदीकी बढ़ा कर अमेरिका और उसके साझेदारों को असहज करने की कोशिश करता रहा है। रूस अमेरिका ब्रिटेन सहित नाटो के प्रसार को एक बड़े खतरे के रूप में देखता रहा है । जब रूस को यह दिखा कि यूक्रेन नाटो का सदस्य बनने का प्रयास कर रहा है और इसके जरिए वह नाटो के सामूहिक सुरक्षा के घेरे में आ जायेगा तब रूस ने क्रीमिया के अधिग्रहण के जरिए विवाद को बढ़ावा दिया । अमेरिका और ब्रिटेन के प्रभुत्व वाले जी 8 समूह से भी रूस को बाहर निकाला जाना इस बात को सिद्ध करता है कि रूस के खिलाफ अमेरिका की लॉबी मजबूत रही है। साल 1998 में इस समूह में रूस भी शामिल हो गया था और यह जी-7 से जी-8 बन गया था। लेकिन साल 2014 में यूक्रेन से क्रीमिया हड़प लेने के बाद रूस को समूह से निलंबित कर दिया गया था।

विवेक ओझा (ध्येय IAS)


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