यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: हरित ऊर्जा कॉरिडोर: चरण 2 (Green Energy Corridor: Phase 2)

खबरों में क्यों?

  • सरकार ने 6 जनवरी को सात राज्यों में लगभग 20 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के ग्रिड एकीकरण और बिजली निकासी की सुविधा के लिए 12,031 करोड़ के परिव्यय के साथ हरित ऊर्जा कॉरिडोर के दूसरे चरण को मंजूरी दी.

हरित ऊर्जा कॉरिडोर के बारे में

  • हरित ऊर्जा गलियारा परियोजना का उद्देश्य सौर और पवन जैसे अक्षय स्रोतों से उत्पादित बिजली को ग्रिड में पारंपरिक बिजली स्टेशनों के साथ सिंक्रनाइज करना है.
  • हरित ऊर्जा गलियारा एक अंतर्राज्यीय पारेषण प्रणाली है जिसे भारत में आठ नवीकरणीय समृद्ध राज्यों-तमिलनाडु, राजस्थान, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है.
  • अंतर्राज्यीय पारेषण प्रणाली संबंधित स्टेट ट्रांसमिशन यूटिलिटीज (एसटीयू) द्वारा कार्यान्वित की जा रही है और अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली, पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पीजीसीआईएल) द्वारा कार्यान्वित की जा रही है.
  • यह योजना सात राज्यों में लगभग 20 गीगावाट अक्षय ऊर्जा (आरई) के ग्रिड एकीकरण और बिजली निकासी की सुविधा प्रदान करेगी

हरित ऊर्जा कॉरिडोर: चरण 1

  • भारत सरकार ने 2013 में ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर परियोजना शुरू की.
  • 12वीं पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान संभावित अक्षय ऊर्जा क्षमता वृद्धि के लिए, नवीकरणीय संसाधन संपन्न राज्यों में इसे लागू किया जा रहा है.
  • हरित ऊर्जा गलियारों का पहला चरण आंध्र प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और तमिलनाडु में लागू किया जा रहा है और 2022 तक लगभग 20GW अक्षय ऊर्जा की आपूर्ति में मदद करेगा.

हरित ऊर्जा कॉरिडोर: चरण 2

  • हरित ऊर्जा गलियारा परियोजना के दूसरे चरण में लगभग 10,750 सर्किट किलोमीटर पारेषण लाइनें और 27,500 मेगा वोल्ट- एम्पीयर (एमवीए) सबस्टेशनों की क्षमता में वृद्धि होगी.
  • यह योजना 2030 तक 450GW स्थापित आरई क्षमता के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी.

भारत में हरित ऊर्जा कॉरिडोर आवश्यकता

  • परियोजना का उद्देश्य मुख्य ग्रिड के साथ बड़े पैमाने पर नवीकरणीय उत्पादन क्षमता वृद्धि को एकीकृत करना है.
  • भारत का लक्ष्य 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा उत्पादन और 2030 तक अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 50% नवीकरणीय स्रोतों से पूरा करना है. इसलिए इन ऊर्जाओं को एकीकृत करने की आवश्यकता है
  • देश को नवीकरणीय ऊर्जा की अधिक पहुंच के लिए खुद को तैयार करने की जरूरत है.
  • ग्रिड स्थिरता और सुरक्षा भारत के लिए मुख्य चिंताएं हैं.
  • विद्युत मंत्रालय ने नवीकरणीय ऊर्जा को ग्रिड में एकीकृत करने में, मदद करने के लिए अक्षय ऊर्जा प्रबंधन केंद्र (आरईएमसी) स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है.
  • ये केंद्र, राज्य और क्षेत्रीय स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के पूर्वानुमान और शेडड्ढूलिंग और राज्य लोड डिस्पैच केंद्रों (एसएलडीसी) के साथ समन्वय के लिए जिम्मेदार होंगे

हरित ऊर्जा कॉरिडोर के लाभ

  • यह योजना 2030 तक 450GW स्थापित आरई क्षमता के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी.
  • यह देश की दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा में भी योगदान देगा और कार्बन फुटप्रिंट को कम करके पारिस्थितिक रूप से सतत विकास को बढ़ावा देगा.
  • यह कॉरिडोर बिजली और अन्य संबंधित क्षेत्रों में कुशल और अकुशल दोनों कर्मियों के लिए, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करेगा.
  • यह 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली की हिस्सेदारी को 40% तक बढ़ाने की भारत की प्रतिज्ञा में मदद करेगा.
  • इस परियोजना से भारत को COP-26, ग्लासगो शिखर सम्मेलन, में की गई जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी.
  • यह कॉरिडोर देश की दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा में योगदान देगा.
  • यह कॉरिडोर, सौर और पवन ऊर्जा जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतों से जो रुक-रुक कर विद्युत आपूर्ति करते हैं, से राष्ट्रीय ग्रिड की निय- मितता तथा सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करेगा