यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: भारत की दीर्घकालिक कम उत्सर्जन विकास रणनीति (India's Long Term Low Emission Development Strategy)

चर्चा में क्यों?

  • भारत ने शर्म अल-शेख (मिस्र) में आयोजित हुए कॉप-27 में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) को अपनी दीर्घकालिक कम उत्सर्जन विकास रणनीति (एलटी-एलईडीएस) प्रस्तुत किया।

दीर्घकालिक कम उत्सर्जन विकास रणनीति के बारे में

  • पेरिस समझौते 2015 के तहत, देशों को दो प्रकार की जलवायु कार्ययोजनाएं प्रस्तुत करनी थीं-
  • अल्पकालिक।
  • दीर्घकालिक।
  • अल्पकालिक जलवायु रणनीति को राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) कहा जाता है जिसे हर पांच साल में प्रस्तुत किया जाता है।
  • पर्यावरण मंत्रालय द्वारा सभी प्रासंगिक मंत्रालयों और विभागों, राज्य सरकारों, अनुसंधान संस्थानों तथा नागरिक समाज संगठनों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद दीर्घकालिक कम उत्सर्जन विकास रणनीति तैयार की जाती है।

प्रमुख विचार

भारत की दीर्घकालिक कम-कार्बन विकास रणनीति के 4 प्रमुख आधार हैं:

  • दुनिया की आबादी का 17 प्रतिशत हिस्सा होने के बावजूद ग्लोबल वार्मिंग में भारत का योगदान बहुत कम रहा है।
  • विकास के लिए भारत की महत्त्वपूर्ण ऊर्जा आवश्यकताएं हैं।
  • भारत विकास के लिए कम-कार्बन रणनीतियों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है और राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुसार सक्रिय रूप से उनका अनुसरण कर रहा है।
  • भारत को जलवायु लचीलापन बनाने की जरूरत है।

दीर्घकालिक कम उत्सर्जन विकास रणनीति (एलटी-एलईडीएस) की मुख्य विशेषताएं

क्षेत्रीय परिवर्तनः

  • एलटी- एलईडीएस ने छह रणनीतिक क्षेत्रों जैसे- बिजली, परिवहन, शहरी, उद्योग, कार्बन डाइऑक्साइड हटाने और जंगलों को प्राथमिकता दी है।
  • बिजली क्षेत्र- अधिक नवीकरणीय ऊर्जा, मांग पक्ष में कमी और कोयले के फेज डाउन के लिए उचित बदलाव को प्राथमिकता दिया जा रहा है।
  • परिवहन क्षेत्र- भारत स्वच्छ ईंधन, ऊर्जा दक्षता में वृद्धि और तेजी से विद्युतीकरण पर ध्यान दे रहा है।
  • शहरी क्षेत्र- इसमें भवनों की भौतिक दक्षता पर ध्यान दिया जाता है।
  • औद्योगिक क्षेत्र- यह ऊर्जा दक्षता, विद्युतीकरण, सामग्री दक्षता और हरित हाइड्रोजन में सुधार करने का लक्ष्य रखता है।
  • कार्बन डाइऑक्साइड हटाना- एलटी-एलईडीएस में इसका शामिल होना दर्शाता है कि भारत नई तकनीक के प्रयोग हेतु तत्पर है।
  • वन- भारत की मजबूत वन नीतियां हैं और वह अपने वनों की रक्षा करना जारी रखेगा। यह कार्बन सिंक के रूप में कार्य करने के लिए वृक्षावरण का विस्तार करेगा।

वित्त और निवेशः

  • काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर के अनुसार, भारत को 2070 के शुद्ध-शून्य लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए $10 ट्रिलियन डॉलर की आवश्यकता होगी।

LiFE:

  • LiFE मिशन भारत के नागरिकों, समुदायों, उद्योगों और दुनिया के नीति निर्माताओं को पर्यावरण के लिए एक जीवन शैली अपनाने का आवाहन है।
  • LiFE बड़े जलवायु लक्ष्य के लिए व्यक्तिगत योगदान के महत्त्व को बढ़ाता है।

भारत के सामने चुनौतियां

  • वैश्विक कार्बन बजट।
  • वित्त और प्रौद्योगिकी के संबंध में प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विकसित देशों की विफलता।
  • कृषि को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय शॉक।
  • नेट-जीरो पर प्रतिबद्ध होने सेः
  • गरीब भारतीय राज्यों के लिए राजस्व हानि।
  • रोजगार के अवसरों में कमी।