यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: डीएनए विधयेक से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति की सिफारिश (Recommendation of Parliamentary Standing Committee on DNA legislation)

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): डीएनए विधयेक से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति की सिफारिश (Recommendation of Parliamentary Standing Committee on DNA legislation)

डीएनए विधयेक से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति की सिफारिश (Recommendation of Parliamentary Standing Committee on DNA legislation)

चर्चा का कारण

  • हाल ही में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन पर संसद की स्थायी समिति ने आशंका जाहिर की है कि डीएनए डेटा बैंक के जरिए धर्म, जाति या राजनीतिक विचार के आधार पर लोगों को निशाना बनाने के लिए इसका दुरुपयोग किया जा सकता है।
  • गौरतलब है कि अक्टूबर 2019 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्द्धन ने लोकसभा में डीएनए बिल पेश किया था, जिसके बाद इसे संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया गया था।

संसदीय समिति के सुझाव

  • अपराध स्थल डीएनए प्रोफाइल के राष्ट्रीय डेटा बैंक में सभी का डीएनए शामिल किया जा सकता है। विदिह हो कि अपराध से पहले और बाद में वारदात स्थल पर कई लोगों का डीएनए मिलता है, जिनका मामले से कुछ लेना देना नहीं होता है।
  • समिति का मानना है कि डीएनए प्रोफाइलिंग सुनिश्चित करने के लिए एक ऐसा सक्षम तंत्र जल्द ही बनाया जाए, जो पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों और संविधान की भावना के अनुरूप हो।
  • समिति के सदस्यों ने इस बात की आशंका जाहिर की है कि धर्म, जाति या राजनीतिक विचार के आधार पर लोगों को निशाना बनाने के लिए इस कानून का दुरुपयोग किया जा सकता है।
  • संसदीय समिति ने सुझाव दिया कि अपराध स्थल डीएनए प्रोफाइल का उपयोग जांच और परीक्षण में किया जा सकता है, लेकिन इसे डेटा बैंक में नहीं डाला जाना चाहिए और मामला समाप्त होने के बाद इसे नष्ट कर दिया जाना चाहिए। अगर कोई दोषी है, तो दोषी के डीएनए प्रोफाइल को ही डेटा बैंक में शामिल किया जा सकता है।

डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग और अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक

  • इस विधेयक का उद्देश्य ‘विशेष श्रेणी के व्यक्तियों’ जैसे कि अपराध के शिकार लोगों, लापता व्यक्तियों और बच्चों, अज्ञात शवों के साथ अपराधियों, संदिग्धों और मामलों में विचाराधीन लोगों का एक डेटाबेस स्थापित करना है।
  • इस विधेयक के तहत राष्ट्रीय डीएनए डेटा बैंक और हर राज्य में क्षेत्रीय डीएनए डेटा बैंक खोले जाने का प्रावधान है। हर डेटा बैंक में क्राइम सीन इंडेक्स, संदिग्ध व्यक्तियों (सस्पेक्ट) या विचाराधीन कैदियों (अंडरट्रायल्स) के इंडेक्स, अपराधियों के इंडेक्स, लापता व्यक्तियों के इंडेक्स और अज्ञात मृत व्यक्तियों के इंडेक्स होंगे।
  • विधेयक के मुताबिक, ऐसा डेटाबेस डीएनए प्रोफाइलिंग के माध्यम से बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराधों को दोहराने वाले व्यक्तियों का पता लगाने में मदद करेगा। इस बिल में कुछ लोगों की पहचान स्थापित करने हेतु डीएनए टेक्नोलॉजी के प्रयोग के रेगुलेशन का प्रावधान है।

डीएनए कलेक्शन कैसे होगा?

  • विधेयक के मुताबिक, डीएनए प्रोफाइल तैयार करते समय जांच अधिकारियों द्वारा किसी व्यक्ति के शारीरिक पदार्थों को इकठ्ठा किया जा सकता है। कुछ स्थितियों में इन पदार्थों को इकठ्ठा करने के लिए अधिकारियों को उस व्यक्ति की सहमति लेनी होगी। सात साल से नीचे के सजायाफ्रता कैदी से भी सहमति लेनी होगी, लेकिन उससे ऊपर वाले की सहमति नहीं चाहिए।
  • डीएनए विधेयक में डीएनए रेगुलेटरी बोर्ड की स्थापना का प्रावधान है जोकि डीएनए डेटा बैंक और डीएनए लेबोरेट्रीज को सुपरवाइज करेगा। इसके अलावा डीएनए का खुलासा करना या अनुमति के बिना डीएनए सैंपल का इस्तेमाल करने पर सजा का प्रावधान है। डीएनए सूचना का खुलासा करने पर तीन साल तक की कैद की सजा भुगतनी पड़ सकती है और एक लाख रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।

डीएनए तकनीक का लाभ

  • डीएनए तकनीक का इस्तेमाल अपराधों की गुत्थी को सुलझाने में किया जा सकता है। यह तकनीक जो लोग लापता हो गए हैं या जिनकी मृत्यु के बाद पहचान नहीं हो पा रही है, उन मामलों में मददगार साबित होगी।
  • यही नहीं बड़ी आपदाओं में ज्यादा तादात में मरने वालों की पहचान में भी यह तकनीक उपयोगी होगी। इसके अलावा बच्चे के जैविक माता-पिता की पहचान, इमिग्रेशन मामलों और मानव अंगों के ट्रांसप्लांट जैसे कार्यों में भी इस तकनीक की मदद ली जा सकेगी।