यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: जल पक्षी स्थिति सर्वेक्षण-2022 और चिल्का झील (Water Bird Status Survey - 2022 & Chilika Lake)

खबरों में क्यों?

  • चिल्का झील, भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे बड़ी खारे पानी की झील और पक्षियों का सर्दियों में निवास स्थान है- इस वर्ष मंगोलियाई गल सहित, लाखों पक्षियों का इस जलाशय में आगमन हुआ है

चिल्का झील

  • चिल्का झील एक खारे पानी की झील है और पूर्वी भारत के ओडिशा राज्य के पुरी, खुर्दा और गंजम जिलों में फैली हुई, एक उथला लैगून है
  • लवणता और गहराई के आधार पर लैगून को मोटे तौर पर चार पारिस्थितिक क्षेत्रों अर्थात् दक्षिणी क्षेत्र, मध्य क्षेत्र, उत्तरी क्षेत्र और बाहरी चैनल में विभाजित किया जा सकता है
  • लैगून में कई द्वीप मौजूद हैं, जिनमें कृष्णप्रसाद, नलबाना, कालीजाई, सोमोलो और पक्षी द्वीप समूह प्रमुख हैं

चिल्का झील की विशेषता

  • चिल्का एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा लैगून है.
  • इसे रामसर साइट और एक संभावित यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया है.
  • चिल्का झील को 1981 में भारत में अंतरराष्ट्रीय महत्व की पहली रामसर कन्वेंशन वेटलैंड घोषित किया गया था.
  • यह कई भेद्य पौधों और जानवरों की प्रजातियों का घर है और भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवासी पक्षियों के लिए प्रमुख शीतकालीन स्थल है.
  • चिल्का में प्रमुख आकर्षण इरावदी डॉल्फिन हैं जिन्हें अक्सर सतपाड़ा द्वीप से देखा जाता है

जल पक्षी स्थिति सर्वेक्षण-2022

  • पक्षी गणना ओडिशा राज्य वन्यजीव संगठन, चिल्का विकास प्राधिकरण (सीडीए) और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी द्वारा संयुक्त रूप से की गई.
  • चिल्का के नलबाना पक्षी अभयारण्य में कुल 3,58,889 पक्षियों (97 प्रजातियों) की गिनती की गई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 65,899 कम थी.
  • कमी का कारण उच्च जल स्तर और आसपास के खेती वाले क्षेत्रों में पानी की उपस्थिति थी. जल पक्षी बड़े मडफ्लैट्स पर झुंड में रहना पसंद करते हैं.
  • उत्तरी शोवेलेर, गुच्छेदार बत्तख और लाल कलगी पोचार्ड जैसी प्रजातियों की संख्या में मामूली कमी देखी गई.
  • उत्तरी पिंटेल, कॉमन कूट और कॉमन पोचार्ड की आबादी में वृद्धि देखी गई.
  • नलबाना मडफ्लैट में फ्लेमिंगो की संख्या में वृद्धि इंगित करती है कि नलबाना में बहाली प्रभावी है. यह मडफ्लैट्स के उचित प्रबंधन के कारण हुए है.
  • स्थानीय प्रजातियाँ जैसे बैंगनी दलदल-मुर्गी, बैंगनी बगुला, भारतीय मूरहेन और जकाना अधिक संख्या में पाए गए

चिल्का के अतिथि

  • चिल्का झील कैस्पियन सागर, बैकाल झील, अरल सागर, रूस के दूरदराज के हिस्सों, मंगोलिया के किर्गिज स्टेप्स, मध्य और दक्षिण पूर्व एशिया, लद्दाख और हिमालय से प्रवास करने वाले पक्षियों की मेजबानी करती है.

चिल्का लैगून में पारिस्थितिक समस्याएं

  • अंतर्देशीय नदी प्रणालियों से तटीय बहाव और तलछट के कारण गाद कि समस्या.
  • जल सतह क्षेत्र का सिकुड़ना.
  • इनलेट चौनल का बंद होना और साथ ही समुद्र से जुड़ने वाले मुहाने का स्थानांतरण.
  • लवणता और मत्स्य संसाधनों में कमी.
  • ताजे पानी की अस्थानीय प्रजातियों का प्रसार, जैव विविधता का एक समग्र नुकसान, उत्पादकता में गिरावट के साथ इस पर निर्भर समुदाय की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव.

चिल्का झील के जीर्णोद्धार के उपाय

  • झींगा पालन का उन्मूलन और झींगा "घेरियों" का विध्वंस जो ज्वार को बाधित करता है, लवणता के स्तर को कम करता है और झील के सीमांत क्षेत्रों में गाद की प्रक्रिया को तेज करता है.
  • चिल्का में मोटर चालित नौकाओं पर प्रतिबंध क्योंकि वे पानी को प्रदूषित करती हैं.
  • "जीरो नेट" पर प्रतिबंध क्योंकि यह विभिन्न छोटी मछलियों, झींगा और केकड़े को नष्ट कर देता है, जिससे कुल संख्या में कमी हो रही है
  • चिल्का के पास बंगाल की खाड़ी में ट्रॉलरों द्वारा मछली पकड़ने पर प्रतिबंध क्योंकि वे समुद्र से झील में मछली और झींगा के प्रवेश में बाधा डालते हैं.
  • विशेष रूप से चिल्का के पश्चिमी और उत्तरी स्रोतों में तैरते जलीय खरपतवारों को हटाना क्योंकि वे गाद बढ़ाते हैं और नावों की आवाजाही में बाधा डालते हैं

बहाली के प्रयासों के बाद लाभ

  • चिल्का लैगून की बहाली से पता चलता है कि किसी साइट की पारिस्थितिक विशेषताओं की बहाली से न केवल लैगून पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार होता है बल्कि आर्द्रभूमि पर निर्भर समुदाय को भी लाभ होता है.
  • प्रत्येक परिवार की औसत वार्षिक आय में रु-50,000 से अधिक की वृद्धि हुई
  • इस साल राजहंसों की संख्या पिछले एक दशक में सबसे अधिक थी