यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: भारतीय अवसंरचना पर वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट (WB Report on Indian Infrastructure)

चर्चा में क्यों?

  • विश्व बैंक ने हाल ही में भारतीय बुनियादी ढांचे पर एक रिपोर्ट जारी की, जिसका शीर्षक है, ‘भारत की बुनियादी ढांचे की जरूरतों का वित्तपोषणः वाणिज्यिक वित्तपोषण और नीतिगत कार्यवाही की संभावनाएं’।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • भारत को शहर के बुनियादी ढांचे में अपना औसत वार्षिक निवेश पिछले दस वर्षों में $10.6 बिलियन से बढ़ाकर $55 बिलियन प्रति वर्ष करना है जो अगले 15 वर्षों में कुल $840 बिलियन होगा।
  • इसने नीतिगत कार्रवाइयों की शृखंला का आग्रह किया जिसमें केंद्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के लिए अधिक स्थिर, सूत्र आधारित तथा बिना शर्त वित्तीय व्यवस्था पर स्विच करना शामिल है।

नीतिगत हस्तक्षेप से जुड़े सुझाव

  • शहरों की निवेश सहायता इकाई जैसी समर्पित संरचना का निर्माण।
  • ये इकाइयां अवसंरचनात्मक वित्त पर ध्यान केंद्रित करती हैं। राज्य और शहरों को उनके अवसंरचनात्मक वित्तपोषण तथा प्रबंधन में सहायता कर सकती हैं।
  • इसने निम्न द्वारा यूएलबी के वित्तपोषण के अवसरों में सुधार करने का सुझाव दियाः
  • अधिक निजी और वाणिज्यिक निवेशों को शामिल करना।
  • अधिक निजी भागीदारी के लिए अवसर प्रदान करना।

सरकारी निजी कंपनी भागीदारी

  • वर्तमान शहरी अवसंरचना वित्तपोषणः
  • 75% केंद्र और राज्यों द्वारा किया जाता है।
  • 15% यूएलबी द्वारा अपने स्वयं के अधिशेष राजस्व के माध्यम से किया जाता है।
  • 5% निजी क्षेत्र द्वारा वित्तपोषित हैं।
  • शहरी बुनियादी ढाँचे में वार्षिक सरकारी निवेश $16 बिलियन (2018) से ऊपर है जो निजी निवेश की आवश्यकता को दर्शाता है।
  • ऋण और सार्वजनिक निजी भागीदारी के माध्यम से निजी क्षेत्र के वित्तपोषण की वांछनीय राशि अभी तक प्राप्त नहीं हुई है।
  • भारत में 2011 और 2018 के बीच शहरी संपत्ति कर जीडीपी का 0.15% था जो निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए सामान्य 0.3-0.6% से कम है।
  • नगरपालिका सेवाओं के लिए कम सेवा शुल्क भी निजी निवेश की वित्तीय

अन्य अवलोकन

  • रिपोर्ट के अनुसार 2036 तक लगभग 600 मिलियन लोग भारतीय शहरों में रह रहे होंगे जो 40% आबादी का प्रतिनिधित्व करेंगे।
  • इसने हरित, स्मार्ट, समावेशी और सतत शहरीकरण के लिए निजी प्लेयर की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।

भारत में बुनियादी ढांचे की वर्तमान स्थिति

  • भारत में (ब्राजील के बाद) दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर गैप है, क्योंकि 1990 के दशक की शुरुआत से आपूर्ति में समान वृद्धि के बिना 6% से अधिक की तेजी से वृद्धि हुई है।
  • भारत में बुनियादी ढांचे के लिए धन की भारी कमी, जिसे सकल घरेलू उत्पाद के 5% से अधिक माना जाता है, देश की सबसे बड़ी चुनौती है।
  • इंफ्रास्ट्रक्चर पीपीपी में बाधाएं हैं:
  • भूमि अधिग्रहण,
  • प्रतिस्पर्धी बोली,
  • गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (NPA)