एनसीएलपी स्कूलों के बंद होने के बाद लड़कियों के ड्रॉपआउट दर में वृद्धि - समसामयिकी लेख

   

मुख्य वाक्यांश: राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (एनसीएलपी) स्कूल, श्रम और रोजगार मंत्रालय, व्यावसायिक प्रशिक्षण, सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए), बाल श्रम, विशेष प्रशिक्षण केंद्र, परियोजना समितियां।

चर्चा में क्यों?

आंध्र प्रदेश में श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे 65 राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (एनसीएलपी) स्कूलों को केंद्र सरकार द्वारा बंद करने से लगभग 2,000 छात्रों का भाग्य अधर में लटक गया है।

मामला क्या है?

  • अप्रैल 2021 में, श्रम और रोजगार मंत्रालय ने एनसीएलपी स्कूलों को सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) में विलय करने के आदेश जारी किए, लेकिन आज तक प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है।
  • शिक्षा विभाग ने एनसीएलपी स्कूलों के कुछ छात्रों को नामांकित किया है, जबकि अन्य पिछले डेढ़ साल से ड्रॉपआउट हैं।
  • एनसीएलपी स्कूल, जिन्हें विशेष प्रशिक्षण केंद्र (एसटीसी) के रूप में भी जाना जाता है, में पढ़ने वाले अधिकांश छात्र, विशेषकर लड़कियों ने स्कूलों जाना बंद कर दिया है।

बाल श्रम क्या है?

  • बाल और किशोर श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 (जिसे 2016 में संशोधित किया गया था) के अनुसार, 14 वर्ष से कम आयु के किसी भी व्यक्ति को बच्चे के रूप में परिभाषित किया गया है। यह अधिनियम इस आयु वर्ग के बच्चे को रोजगार से प्रतिबंधित करता है चाहे वह घरेलू सहायक का ही हो।
  • किसी भी काम के लिए बच्चे को काम पर रखना एक संज्ञेय अपराध है।
  • 14 और 18 वर्ष की आयु के बच्चों को "किशोर" के रूप में परिभाषित किया गया है। कारखाना अधिनियम-1948, कानून किशोरों को सूचीबद्ध खतरनाक व्यवसाय और प्रक्रियाओं को छोड़कर (जिसमें खनन, ज्वलनशील पदार्थ और विस्फोटक से संबंधित खतरनाक प्रक्रिया शामिल है) नियोजित करने की अनुमति देता है ।

राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना योजना:

सरकार ने देश के बाल श्रम स्थानिक जिलों में कार्यरत बच्चों के पुनर्वास के लिए 1988 में राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (एनसीएलपी) शुरू की जो एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है।

कार्यान्वयन:

इस परियोजना के कार्यान्वयन की देखरेख के लिए कलेक्टर/जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में जिला स्तर पर जिला परियोजना समितियों (डीपीएस) की स्थापना की जाती है।

एनसीएलपी का मुख्य उद्देश्य:

A. बाल श्रम के सभी रूपों को समाप्त करने के लिए:

  • इसके द्वारा बाल श्रम क्षेत्र में सभी बच्चों की पहचान और निकासी करना।
  • काम से हटाए गए बच्चों को व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ मुख्यधारा की शिक्षा के लिए तैयार करना।
  • बच्चे और उनके परिवार के लाभ के लिए विभिन्न सरकारी विभागों/एजेंसियों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को सुनिश्चित करना।

खतरनाक व्यवसायों/प्रक्रियाओं से सभी किशोर श्रमिकों की वापसी, उनके कौशल और उचित व्यवसायों में एकीकरण के माध्यम से योगदान करने के लिए:

  • खतरनाक व्यवसायों/प्रक्रियाओं से सभी किशोर श्रमिकों की पहचान और निकासी करना।
  • कौशल विकास की मौजूदा योजना के माध्यम से ऐसे किशोरों के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण के अवसरों को सुगम बनाना।
  • सभी हितधारकों व लक्षित समुदायों के बीच जागरूकता बढ़ाना, 'बाल श्रम' और 'खतरनाक व्यवसायों/प्रक्रियाओं में किशोर श्रमिकों के रोजगार' के मुद्दों पर एनसीएलपी तथा अन्य पदाधिकारियों का उन्मुखीकरण।
  • बाल श्रम निगरानी, ट्रैकिंग और रिपोर्टिंग प्रणाली का निर्माण।

लक्ष्य समूह (Target group):

  • परियोजना समितियों को खतरनाक व्यवसायों और प्रक्रियाओं में काम करने वाले बच्चों की पहचान करने के लिए सर्वेक्षण करने की आवश्यकता है।
  • ये बच्चे तभी प्रोजेक्ट सोसाइटी के लिए लक्ष्य समूह बनाएंगे।
  • एसएसए के माध्यम से 5-8 वर्ष की आयु समूह के चिन्हित बच्चों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में लाना होगा।
  • प्रोजेक्ट सोसाइटी द्वारा स्थापित एनसीएलपी स्कूलों के माध्यम से 9-14 आयु वर्ग के कामकाजी बच्चों का पुनर्वास किया जाएगा।

बचाव (Rescue):

  • एनसीएलपी योजना की परिकल्पना उन बाल श्रमिकों के लिए एसटीसी चलाने के लिए की गई थी जिन्हें ईंट भट्ठों, रेत खदानों, निर्माण स्थलों, दुकानों और अन्य प्रतिष्ठानों, स्कूल छोड़ने वालों और कभी न नामांकित हुए बच्चों को बचाया गया था।

व्यावसायिक प्रशिक्षण:

  • व्यावसायिक प्रशिक्षण एसटीसी में पाठ्यक्रम का हिस्सा था और प्रशिक्षक कढ़ाई, सिलाई, चूड़ी बनाने, कलमकारी बैग, पेंटिंग, साड़ी डिजाइन, ब्यूटीशियन, शिल्प और अन्य पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण प्रदान करते थे।

स्वरोजगार:

  • स्व-रोजगार कार्यक्रम के तहत बच्चों और उनकी माताओं के लिए सर्फ, फिनोल, लिक्विड ब्लू, पेन बाम और हेयर ऑयल बनाने में कौशल विकास पाठ्यक्रम आयोजित करना।

वजीफा (Stipend):

  • सरकार प्रति माह ₹400 प्रति बच्चे को वजीफे के रूप में भुगतान करती थी तथा प्रत्येक छात्र को मध्याह्न भोजन, स्कूल यूनिफॉर्म और किताबें उपलब्ध कराती थी।

निष्कर्ष:

  • रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश स्कूल छोड़ने वाले छात्र फिर से बाल श्रमिक बन रहे हैं।
  • सरकार को एनसीएलपी स्कूलों को सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) में विलय करने के लिए एक वैकल्पिक रास्ता अपनाना चाहिए था ताकि इस ड्रॉपआउट को रोका जा सके।
  • छात्रों के बीच जागरूकता पैदा करने और पढ़ाई फिर से शुरू करने के महत्व पर माता-पिता को संवेदनशील बनाने के लिए एक अभियान चलाने की आवश्यकता है।
  • विभाग को स्थिति की गंभीरता को समझना चाहिए और बच्चों को स्कूल लौटने में मदद करने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए।

स्त्रोत: द हिन्दू

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2:
  • सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप, उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न मुद्दे।

मुख्य परीक्षा प्रश्न:

  • भारत में बाल श्रम के क्या कारण हैं और बाल श्रम को रोकने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं? चर्चा कीजिये।