‘सरकार-तकनीक’ मॉडल की आवश्यकता - समसामयिकी लेख

की-वर्डस :- शासन का सहयोगात्मक मॉडल; दुधारी तलवार; संपर्क के प्रति संवेदनशील क्षेत्र; पीएफएमएस; बहुतायत के भविष्य के लिए उत्प्रेरक।

संदर्भ :-

  • कोविड-19 ने हर बार नई लहर के साथ 'निरंतर अनिश्चितता' और 'आशंकाओं' में वृद्धि की है।
  • कोविड-19 ने हमें अपनी प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार करने के लिए भी मजबूर किया है।
  • बजट 2021 में स्वास्थ्य देखभाल खर्च में 137% की वृद्धि की घोषणा की गई थी।
  • इस संकट ने सरकार और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग के अनूठे मॉडल प्रस्तुत किये हैं।
  • पोस्ट कोविड अर्थव्यवस्था के समक्ष आसन्न चुनौतियों का समाधान करने के लिए, शासन के सहयोगी मॉडल की आवश्यकता होगी।

लेख की मुख्य बातें :-

कोविड के समय में चुनौतियाँ और अवसर :-

  • महामारी भारत के लिए दोधारी तलवार रही है।
  • कुछ क्षेत्रों ने अपनी अनुकूलन क्षमता के कारण और उन क्षेत्रों में भौतिक संपर्क की कम आवश्यकता के कारण भारी लाभ कमाया। इनमें क्षैतिज बी-2-बी (बिजनेस टू बिजनेस), वेब-3, एच आर टेक, बायोटेक और एड-टेक के क्षेत्रों में काम करने वाले व्यवसाय शामिल हैं। .
  • जबकि, संपर्क-संवेदनशील क्षेत्रों जैसे हॉस्पिटैलिटी, ऑफ़लाइन स्कूल, पर्यटन आदि को अभूतपूर्व क्षति पहुंची है।
  • कच्चे माल की बढ़ती लागत से असमान रिकवरी और बढ़ती मुद्रास्फीति को बढ़ावा मिलता है, जिससे कॉर्पोरेट मार्जिन प्रभावित होता है।
  • मध्यम वर्ग को ऐसे विकल्प अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है जो खपत को कम करते हैं।
  • यह आगे मंदी के दबाव को बनाए रखने का कारण बनता है, जिसके परिणामस्वरूप कम विकास का दुष्चक्र होता है।
  • इंटरनेट की असमान उपलब्धता ने मौजूदा सामाजिक विभाजन को और बदतर कर दिया है। इससे लर्निंग लॉस की समस्या और बढ़ गई है।
  • महामारी ने उद्यमियों को ऐसे ब्रांड बनाने का मौक़ा दिया है जो संभाव्य अप्रयुक्त क्षेत्रों की क्षमताओं का दोहन करने में सक्षम हो।
  • इसने बदले में स्टार्टअप बूम को बढ़ावा दिया, खासकर वेब 3 और क्रिप्टो जैसे उभरते क्षेत्रों में।
  • इस अवधि के दौरान यूनिकॉर्न की संख्या में वृद्धि हुई है। हाल ही में, नियोबैंक 100वां यूनिकॉर्न बन गया।
  • प्रकृति को मानव प्रदूषण और जीएचजी उत्सर्जन से कुछ समय के लिए राहत मिली। ऐसा सड़क पर कम यातायात, विद्युत उत्पादन में कमी और उद्योगों में उत्पादन की कमी के कारण था।

गवर्नमेंट-टेक मॉडल क्या है?

  • यह टेक स्टार्ट-अप और संस्थागत पूंजी निवेशकों और सरकार के बीच पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग आधारित एक मॉडल है।
  • उदाहरण के लिए- सिडबी की निधि का कोष
  • जिसके लिए सरकार और वीसी फंड के बीच पार्टनरशिप की आवश्यकता होती है।
  • भारतीय स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में मौजूद वेंचर कैपिटल फण्ड, उभरते हुए स्टार्टअप्स को अप्रत्यक्ष फंडिंग प्रदान करते हैं।

इस मॉडल के लाभ :-

  • प्रभावी संसाधन जुटाना
  • प्रौद्योगिकी सरकार को समग्र और प्रभावी ढंग से योजना बनाने में सहायता कर सकती है। उदाहरण के लिए व्यय विभाग की सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) बजटीय संसाधनों के बेहतर आवंटन में सहायता कर सकती है।
  • निजी क्षेत्र की तकनीकी विशेषज्ञता का लाभ उठाया जा सकता है।
  • इसमें विवेकपूर्ण आर्थिक निर्णय और प्राप्त किए जाने वाले लक्ष्यों को बेहतर प्राथमिकता देना भी शामिल है।
  • निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता की सहायता से, सरकार स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छता, शिक्षा, क्लीनटेक और बायोटेक के क्षेत्र में विशेषज्ञता और कुशलता हासिल करने में सक्षम होगी।
  • शासन को अद्यतित रखने के लिए नई तकनीकों का परिनियोजन।
  • निजी तकनीकी क्षेत्र हाल की तकनीक और उसके अनुप्रयोग के बारे में बेहतर जानकारी रखता है। इसका उपयोग सार्वजनिक सेवा वितरण में सुधार के लिए किया जा सकता है।
  • नागरिकों को लाभ होगा क्योंकि यह सरकार-तकनीक साझेदारी कई सेवाओं की गुणवत्ता को बढाकर कीमतों में वृद्धि करती है और कीमतें कम भी करती है।
  • निजी क्षेत्र विकासात्मक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए सरकारी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए पूंजी जुटा सकता है।
  • यह 'गवर्नमेंट- टेक गठबंधन' पूंजी और कौशल की कमी को दूर करने में सहायता कर सकती है और भविष्य के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर सकता है।
  • उदाहरण- उड़ान योजना में, निजी क्षेत्र प्राथमिक व्ययकर्ता है जबकि सरकार सहायक की भूमिका निभाती हैं।
  • सरकारी सब्सिडी के कारण लम्बी दूरी के हवाई मार्ग अब व्यवहार्य (उपभोक्ताओं के लिए वहनीय क़ीमत) होते जा रहें हैं।

यह विभिन्न लंबित मुद्दों को हल करने में मदद करेगा जो के निम्नलिखित कारणों से अधर में लटके हैं :-

  • तकनीकी दक्षता की कमी।
  • अवसंरचनात्मक ढाँचे की कमी।
  • परियोजनाओं को समयबद्ध ढंग से क्रियान्वित करने के लिए पूंजी की कमी।

आगे की राह :-

  • देश के बढ़ते स्टार्टअप इकोसिस्टम को सरकार के साथ समन्वय स्थापित कर काम करने की आवश्यकता है।
  • सरकार को शासन और सार्वजनिक नीति के पारंपरिक ढांचे में नई प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने के लिए उत्तरदायी होना होगा। इससे व्यापक आर्थिक लाभ होगा।
  • नीतिगत मुद्दों को हल किया जाना चाहिए और व्यापार करने में सुगमता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  • सांप्रदायिक तनाव के बार-बार भड़कने की जाँच होनी चाहिए।
  • खराब नागरिक बुनियादी ढांचे को संबोधित किया जाना चाहिए।
  • भारत के सांस्कृतिक ताने-बाने को सक्रिय रूप से संरक्षित करने और भारतीयों को अपने पूर्वजों से विरासत में मिली सामाजिक पूंजी को संरक्षित करने की आवश्यकता है।
  • सरकार को उद्यम पूंजी (वीसी) उद्योग का समर्थन करने वाले कारकों को संबोधित करना होगा।
  • वेंचर कैपिटल उद्योग स्टार्टअप्स को आर्थिक रूप से, तकनीकी रूप से और व्यवस्थित रूप से बढ़ने के लिए सलाह देता है।
  • बदले में, वेंचर कैपिटलिस्ट निवेश की गई पूंजी पर बड़ा रिटर्न प्राप्त करते हैं।

निष्कर्ष :-

सरकारी-तकनीक मॉडल को अपनाने से, भारत अगले 3 से 5 वर्षों में एक वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर होगा। व्यापक विचार भारत को प्रौद्योगिकी-सक्षम विकास पथ पर आगे ले जाएगा। यह रणनीति भारत को सतत और समग्रता से समृद्ध बनाने में सहायक सिद्ध होगी।

स्रोत :- मिंट

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2:
  • विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप, उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे; ई-गवर्नेंस-एप्लिकेशन।

मुख्य परीक्षा प्रश्न:

  • विकास का सरकार तकनीक मॉडल (गवर्नमेंट-टेक मॉडल) क्या है? इसके क्या लाभ हैं और यह शासन की चुनौतियों से निपटने में किस प्रकार सहायता कर सकता है?