दिल्ली एमसीडी में एल्डरमैन विवाद (Alderman Controversy in Delhi MCD) : डेली करेंट अफेयर्स

अरविंद केजरीवाल ने लेफ्टिनेंट गवर्नर द्वारा नगर निगम में मनोनीत 10 पार्षदों की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखा है, जिसमें पार्षदों की नियुक्ति पर पुनर्विचार की बात कही गयी है। दरअसल आम आदमी पार्टी का आरोप है कि उपराज्यपाल सक्सेना ने भाजपा के उन नेताओं को ‘एल्डरमेन’ नियुक्त किया है, जिन्हें नगर निगम और नागरिक मामलों में कोई विशेष अनुभव या ज्ञान नहीं है। जबकि दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 की धारा 3 के अनुसार इनसे नगरपालिका के प्रशासन में विशेष ज्ञान और अनुभव की अपेक्षा की जाती है।

दूसरी आपत्ति इस बात पर की गई है कि नामांकन से संबंधित सभी फाइलें दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग के माध्यम से भेजी जाती हैं, लेकिन इस बार नगर निगम आयुक्त द्वारा इस नोडल एजेंसी को अनदेखा करते हुए फाइल सीधे लेफ्टिनेंट-गवर्नर को भेजी गई है। यह नामांकन संविधान के अनुच्छेद 239AA के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ द्वारा की गई व्याख्या के भी विपरीत है।

तीसरा बिंदु यह है कि स्थानीय निकाय एक 'राज्य सूची’ का विषय है, जिसमें एलजी को मंत्री परिषद की सहायता और सलाह के अनुसार काम करना चाहिए। लेकिन एलजी ने राज्य सरकार को सीधे अनदेखा कर दिया है।

हालांकि, एलजी कार्यालय ने आप के आरोपों का खंडन किया, जिसमें दावा किया गया कि उपराज्यपाल राज्य सरकार के सुझाव या मामले पर परामर्श के लिए बाध्य नहीं थे। इनके मुताबिक डीएमसी अधिनियम लेफ्टिनेंट गवर्नर को एल्डरमैन को नामित करने का अधिकार देता है। साल 2022 संशोधन के अनुसार डीएमसी अधिनियम में 'सरकार' शब्द की जगह 'केंद्र सरकार' कर दिया गया है। यानी एल्डरमैन को मनोनीत करना पूरी तरह से एलजी का विवेकाधिकार होगा।

इस पूरे विवाद को देखकर हमारे मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि यह एल्डरमैन होते कौन हैं जिनकी वजह से इतना विवाद मचा हुआ है? दरअसल दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 की धारा 3 के अनुसार, 25 वर्ष से ऊपर की आयु वाले दस लोगों को दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा निगम में एल्डरमैन के रूप में नामित किया जा सकता है। यह लोग सार्वजनिक महत्व के निर्णय लेने में सदन की सहायता करते हैं। यहां ध्यान देने वाली बात है कि इस अधिनियम में राजनीतिक दलों के सदस्यों के मनोनयन पर रोक नहीं है लेकिन इनसे नगरपालिका के प्रशासन में विशेष ज्ञान और अनुभव की अपेक्षा की जाती है।

एल्डरमैन, वार्ड और स्थायी समितियों के चुनाव में, इन-हाउस और वार्ड समिति की बैठकों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि इन्हें मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में वोट देने का अधिकार नहीं है, लेकिन यह स्टैंडिंग कमेटी के कामकाज में भाग लेते हैं। साथ ही, वित्तीय नियंत्रण में भी हस्तक्षेप कर सकते हैं। इसकी वजह से आम आदमी पार्टी को इस बात की आशंका है कि आगे चलकर यह लोग दिल्ली नगर निगम के रोजमर्रा के कामों में दखलअंदाजी कर सकते हैं।