Year Ender 2022 Series : कला एवं संस्कृति वार्षिकी 2022

अल्लुरी सीताराम राजू और रम्पा आंदोलन

साल 2022 में आयी फिल्म आरआरआर खासा चर्चा में रही। ये फिल्म जनजातीय रम्पा आंदोलन की पृष्ठभूमि पर बनायी गयी है। हाल ही में इस फिल्म के गाने 'नाटू नाटू' को ऑस्कर के लिए भी नॉमिनेट किया गया है। बता दें कि रम्पा आंदोलन साल 1922 में आंध्र प्रदेश में हुआ था। इस आंदोलन की वजह थी - आदिवासियों की पारम्परिक पोडू खेती पद्धति को खतरा। इस आन्दोलन का नेतृत्व किया था अल्लुरी सीताराम राजू ने। क्रांतिकारी सीताराम राजू का जन्म 1898 में आंध्र प्रदेश में हुआ था। फिल्म आरआरआर में इन्हीं की कहानी दिखाई गयी है। 4 जुलाई 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अल्लुरी सीताराम राजू की कांस्य प्रतिमा का भी अनावरण किया था।

अनंग ताल झील

संस्कृति मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण ने अनंग ताल झील को राष्ट्र्रीय महत्त्व का स्मारक घोषित किया है। यह झील दिल्ली में मेहरौली के पास स्थित है, जिसकी स्थापना तोमर नरेश अनंगपाल द्वितीय ने 1060 ई. में कराया था। ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार तोमर वंश के शासकों ने ही ढिल्लिका के नाम से दिल्ली शहर की स्थापना की थी। कई शिलालेखों और सिक्कों के अध्ययन से ये प्रमाणित होता है कि तोमर नरेश अनंगपाल 8वीं से 12वीं शताब्दी के बीच दिल्ली और हरियाणा के शासक थे।

बामियान बुद्ध

1990 के दशक के दौरान अफगानिस्तान में तालिबानों ने बामियान बुद्ध की मूर्ति को नष्ट कर दिया गया था, जिससे कई बौद्ध धर्म प्रधान देश तालिबान के मुखर विरोधी हो गए थे। साल 2021 में जब तालिबान ने दोबारा अफगानिस्तान पर कब्ज़ा किया तो इन देशों को अपने पक्ष में करने और अफगानिस्तान में निवेश बढ़ाने के लिए तालिबान ने कहा कि वो मेस अयनाक में स्थित प्राचीन बुद्ध प्रतिमाओं की रक्षा करेगा। नष्ट मूर्तियों के कुछ ध्वंसावशेष बचे हैं जिनको संरक्षित करने के लिए तालिबान प्रयास कर रहा है। आपको बता दें कि बामियान हिन्दुकुश के पहाड़ों में स्थित है और यहीं से होकर प्राचीन सिल्करूट गुज़रता था। कुषाण शासकों के शासन काल में इस इलाके में बौद्ध धर्म का बहुत प्रचार-प्रसार हुआ। पांचवीं शताब्दी के दौरान यहाँ बलुआ पत्थर से काटकर बुद्ध की मूर्तियां बनाई गयीं थीं। साल 2003 में यूनेस्को ने इस प्रतिमा के बचे हुए अवशेषों को विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल कर लिया।

मोढेरा

गुजरात के मेहसाणा जिले में स्थित मोढेरा गाँव सौर ऊर्जा से बिजली प्राप्त करने वाला देश का पहला गाँव बन गया है। इसके अलावा मोढेरा सूर्य मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है। हाल ही में इस सूर्य मंदिर को यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल की अस्थायी सूची में भी शामिल कर लिया गया है। बता दें कि इस मंदिर का निर्माण चालुक्य नरेश भीम प्रथम ने 1026-27 में कराया था।

संत तुकाराम शिला मंदिर

14 जून 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संत तुकाराम के शिला मंदिर का उद्घाटन किया। यह मंदिर पुणे से लगभग 30 किलोमीटर दूर देहू नामक जगह पर स्थित है। देहू संत तुकाराम का जन्म स्थान है। आपको बता दें संत तुकाराम ने 17वीं सदी में महाराष्ट्र में भक्ति आंदोलन की नींव डाली थी। वे भगवान् विष्णु के विट्ठल स्वरुप के भक्त थे।

साहित्य का नोबेल पुरस्कार

साहित्य के क्षेत्र में साल 2022 का नोबेल पुरस्कार फ़्रांसिसी लेखिका 'एनी एरनॉक्स' को दिया गया है। यह पुरस्कार उन्हें "साहस और नैदानिक तीक्ष्णता जिसके साथ वह व्यक्तिगत स्मृति, व्यवस्थाओं और सामूहिक प्रतिबंधों को उजागर करती हैं" के लिए दिया गया है। साल 1940 में फ्रांस में जन्मीं एनी का पालन-पोषण फ्रांस के एक छोटे से शहर यवेटोट में हुआ था। उनकी कृति 'द इयर्स' को इंटरनेशनल मैन बुकर पुरस्कार के लिए चुना गया था।

शांति का नोबल पुरस्कार

शांति के क्षेत्र में साल 2022 का नोबल पुरस्कार बेलारूस के मानवाधिकार अधिवक्ता एलेस बलियात्स्की, रूसी मानवाधिकार संगठन मेमोरियल और यूक्रेनी मानवाधिकार संगठन सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज़ को प्रदान किया गया है। तीन देशों के लोगों और संगठनों के बीच यह पुरस्कार देने के पीछे का मुख्य उद्देश्य परोक्ष रूप से रूस-यूक्रेन के मध्य चल रहे संघर्ष को सन्देश देना है। पुरस्कार राशि बेलारूस के अधिवक्ता और दोनों देशों के संगठनों के बीच संयुक्त रूप से वितरित कर दी गयी है।

आदि शंकराचार्य

आदिगुरु शंकराचार्य के जन्मस्थान को राष्ट्रीय महत्व के स्मारक में शामिल करने की घोषणा की गयी है। इसके पहले नवंबर 2021 में प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तराखंड के केदारनाथ में शंकराचार्य की 216 फ़ीट ऊंची मूर्ति का भी अनावरण किया था। शंकराचार्य का जन्म केरल में कलाडी गांव में हुआ था। आदिगुरु शंकराचार्य को भगवान शिव का अवतार मन जाता है। उन्होंने बचपन में ही संन्यास ले लिया था। हिन्दू धर्म की पुनर्स्थापना के लिए इन्होंने अद्वैतवाद का मत दिया। इन्होंने वेदांत के अध्ययन के लिए भारत में चार केंद्रों की स्थापना की, जिन्हें चार धाम कहा जाता है।

स्टैच्यू ऑफ़ इक्वलिटी

रामानुजाचार्य के 1000 वीं जयन्ती के अवसर पर हैदराबाद के मुचिंतल गांव में 'समता मूर्ति अथवा स्टैच्यू ऑफ़ इक्वलिटी' का अनावरण किया गया। इस मूर्ति की ऊँचाई 216 फ़ीट है। वैष्णव सम्प्रदाय के संन्यासी त्रिदंडी चिन्ना जियर स्वामी के आश्रम में इस मूर्ति को लगाया गया है। बता दें कि रामानुजाचार्य ने विशिष्टाद्वैतवाद मत का प्रतिपादन किया था। वे जात-पात और छुआ-छूत का विरोध करते थे, इसलिए उनकी मूर्ति को स्टैच्यू ऑफ़ इक्वलिटी का नाम दिया गया।

सुभाष चंद्र बोस

23 जनवरी 2022 को सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयन्ती पर इंडिया गेट के पास उनकी होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया गया। इसी जगह पर सितम्बर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुभाष चंद्र बोस की 28 फीट ऊंची ग्रेनाइट की प्रतिमा का अनावरण किया। महान क्रांतिकारी सुभाष चंद्र बोस ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान साल 1943 में आज़ाद हिन्द फौज का नेतृत्व किया था। आज़ाद हिन्द फौज़ में शामिल होने से पहले सुभाष चंद्र बोस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े हुए थे। उन्होंने साल 1938 में कांग्रेस के हरिपुरा अधिवेशन की अध्यक्षता भी की थी। सुभाष चंद्र बोस ने ही सबसे पहले महात्मा गाँधी को 'राष्ट्रपिता' कहकर सम्बोधित किया था।

होयसल मंदिर

कर्नाटक के बेलूर, हलेबिड और सोमपुरा के मंदिर को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल करने के लिए नामांकित किया गया है। साल 2014 में इन स्मारकों को यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल किया गया था। इन मंदिरों का निर्माण होयसल वंश के राजाओं द्वारा कराया गया था। होयसल वंश के राजाओं ने 1110 से 1320 ई. के दौरान दक्षिण भारत में शासन किया। शुरुआत में इनकी राजधानी बेलूर में थी लेकिन बाद में इसकी राजधानी बदलकर हलेबिड हो गयी थी।

चौरी चौरा घटना

5 फरवरी 2022 को चौरी-चौरा घटना के 100 साल पूरे हो गए। 1921 में रॉलेट एक्ट के विरोध में महात्मा गाँधी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया था। लेकिन 4 फरवरी 1922 को गोरखपुर के पास चौरी-चौरा नामक जगह पर आंदोलनकारियों ने एक पुलिस स्टेशन जला दिया था। इस घटना के दौरान तीन नागरिकों और 22 पुलिसकर्मियों की मृत्यु हो गयी थी। चूंकि गांधीजी अहिंसा के घोर समर्थक थे इसलिए उन्होंने इस घटना के बाद असहयोग आंदोलन स्थगित कर दिया था।

पाइका विद्रोह

केंद्र सरकार ने कहा है कि पाइका विद्रोह को भारत का पहला स्वतंत्रता आंदोलन नहीं माना जा सकता। साल 2017 से उड़ीसा केंद्र सरकार से पाइका विद्रोह को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम घोषित करने के लिए प्रयास कर रहा है। वर्तमान में 1857 के क्रांतिकारी विद्रोह को ही प्रथम स्वतंत्रता संग्राम माना जाता है। आपको बता दें कि वर्ष 1817 से 1825 के दौरान उड़ीसा की आदिवासी जनजातियों ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह किया था। पाइका का शाब्दिक अर्थ होता है - पैदल सैनिक। यह विद्रोह 1857 के सैनिक विद्रोह से 40 वर्ष पूर्व हुआ था।

उड़ीसा मंदिर वास्तुकला

भुवनेश्वर में स्थित लिंगराज मंदिर सहित अन्य 8 मंदिरों को विशेष कानून के अंदर रखने के लिए उड़ीसा सरकार ने अध्यादेश पारित किया था जिस पर केंद्र सरकार ने रोक लगा दी है। संस्कृति मंत्रालय ने सम्बंधित अध्यादेश के विषय में कहा है कि इस तरह का अध्यादेश लाने की शक्ति राज्य सरकार को नहीं प्रदान की गयी है। लिंगराज मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है जिसका निर्माण ययाति वंश के राजाओं ने 10वीं से 11वीं सदी के बीच करवाया था। उड़ीसा के मंदिर कलिंग स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

राजा राम मोहन राय

साल 2022 में भारतीय पुनर्जागरण के अग्रदूत राजा राम मोहन राय की 250वीं जयन्ती मनायी गयी। 19वीं सदी के महान समाज सुधारक राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा को समाप्त करने के लिए अथक प्रयास किये थे। इसके अलावा उन्होंने तत्कालीन समाज में फैले पाखंड और आडम्बरों को समाप्त करने के लिए ब्रह्म समाज की स्थापना की। समाज में महिला के अधिकारों और उनकी शिक्षा के लिए उन्होंने व्यापक प्रयास किया।

भारत के फ्लैग कोड के लिए संशोधन

भारत के ध्वज संहिता यानी फ्लैग कोड में संशोधन किया गया है। अब तिरंगे को 24 घंटे अर्थात सूर्यास्त के बाद भी फहराया जा सकता है। इस संशोधन के पहले सूर्यास्त के बाद तिरंगा नहीं फहराया जाता था। इसके लिए फ्लैग-कोड 2002 में बदलाव किया गया है।

स्टेट एंब्लेम ऑफ़ इंडिया

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि सेंट्रल विस्टा के तहत नए संसद भवन का निर्माण किया जा रहा है। इस नए संसद भवन की छत पर अशोक स्तम्भ की प्रतिकृति का निर्माण किया गया है। 6.5 मीटर ऊंचे राष्ट्रीय प्रतीक के निर्माण में 90 प्रतिशत तक तांबे का इस्तेमाल किया गया है। इसको लेकर काफी विवाद हुआ था कि इसकी मूल बनावट से ये प्रतीक भिन्न है।

चोल कालीन मूर्तियां

पिछले साल चर्चा में रही फिल्म पोन्नियन सेलवन पार्ट 1 समृद्ध चोल साम्राज्य की विरासत को प्रदर्शित करती है। चोल साम्राज्य जितना अपने विस्तृत और संगठित राज्य के लिए फेमस था उतना ही प्रसिद्ध थे उस काल के मंदिर और मूर्तियां। चोल कालीन स्थापत्य कला और मूर्ति कला सुंदरता के मामले में बेजोड़ थीं। शिव की नटराज प्रतिमा चोल कालीन कला की ही देन है।1960 के दशक में चोल कालीन नरेश्वन सिवन मंदिर से बहुत सारी कांस्य मूर्तियां चोरी हो गयी थीं जिसे USA के संग्रहालय में रखा गया था। हाल ही में तमिलनाडु आइडल विंग CID ने 6 चोल युगीन मूर्तियों को पुनः प्राप्त करने के लिए USA के अधिकारियों को मूर्तियों से सम्बंधित आधिकारिक दस्तावेज सौंपे हैं।

भारतीय नौसेना ध्वज

भारतीय सेना के अलग-अलग प्रारूपों को प्रदर्शित करने के लिए तीनों सेनाओं थल सेना, वायु सेना और नौसेना के अलग-अलग झंडे हैं। हाल ही में भारतीय नौसेना के ध्वज के डिज़ाइन में परिवर्तन किया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस नए झंडे का अनावरण 4 दिसंबर को नौसेना दिवस के अवसर पर किया। वर्तमान नौसेना के ध्वज पर सफ़ेद पृष्ठभूमि में लाल रंग से क्षैतिज और लंबवत रेखाएं बनी हुई हैं। झंडे के बीच में नीले अष्टकोण के साथ राष्ट्रीय प्रतीक (नेशनल एंब्लेम) बना हुआ है। इसके अलावा ध्वज के ऊपरी कोने में सेंट जॉर्ज के क्रॉस को हटाकर वहां तिरंगा लगा दिया गया है।

महाकालेश्वर मंदिर

महाकालेश्वर मंदिर में मेगा कॉरिडोर प्रोजेक्ट के तहत एक बड़े कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है। श्रद्धालुओं की बढ़ती हुई भीड़ को सँभालने के लिए इस कॉरिडोर का निर्माण किया जायेगा। पिछले साल इस कॉरिडोर के प्रथम चरण का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। आपको बता दें कि महाकालेश्वर मंदिर द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है और भारत का प्रमुख तीर्थ स्थान है। इसके अलावा उज्जैन में हर 12 साल में क्षिप्रा नदी के तट पर कुम्भ मेला भी लगता है।

क़ुतुब शाही मकबरा

क़ुतुब शाही मकबरे में स्थित गोलकोण्डा स्टेपवेल को सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के लिए यूनेस्को एशिया-पैसेफिक अवॉर्ड के तहत 'अवॉर्ड ऑफ़ डिस्टिंक्शन' प्रदान किया गया है। ये स्टेपवेल गोलकुंडा किले के क़ुतुब शाही मकबरे में स्थित है। ईरानी शैली में बने इस स्टेपवेल का निर्माण 16वीं सदी में कराया गया था। यह मकबरा हैदराबाद में स्थित है और कई संस्कृतियों का सम्मिश्रण है। यह मकबरा हिन्दू ,फ़ारसी और पठानी वास्तुकला शैली का इस्तेमाल करके बनाया गया है। यह मकबरा सात कुतुबशाही राजाओं को समर्पित है। उन्होंने लगभग 170 वर्षों तक गोलकुंडा पर शासन किया था।

मानगढ़ जनसंहार

साल 1913 में राजस्थान के बांसवाड़ा के पास मानगढ़ में लगभग 1500 निहत्थे आदिवासी जनजातियों पर ब्रिटिश हुकूमत ने फायरिंग कर दी थी। साल 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मानगढ़ पहुंचे थे और उन्होंने राज्य सरकारों से इतिहास के पन्नों में गुम हो चुकी इन घटनाओं की जानकारी लोगों तक पहुँचाने की अपील की। गोविन्द गुरु आदिवासी आंदोलन के नेता थे और ब्रिटिश हुकूमत के शोषण के खिलाफ विद्रोह में वो आदिवासियों का नेतृत्व कर रहे थे।

लचित बरफूकन

हाल ही में अहोम विद्रोह के नेता लचित बरफुकन की 400वीं जयन्ती मनाने के लिए दिल्ली में तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम को मनाने का मुख्य उद्देश्य यह था कि देश के लोग लचित बरफुकन की वीरता और युद्ध कौशल के बारे में जानें। लचित बरफुकन का जन्म 24 नवंबर 1622 को हुआ था। वे अहोम सेना के सेनापति थे और साल 1671 में सरायघाट के युद्ध में उन्होंने अद्भुत वीरता का परिचय दिया था।

काशी तमिल संगमम

आज़ादी के अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में उत्तर और दक्षिण की सभ्यता के समागम के लिए "काशी तमिल संगमम" का आयोजन किया गया है। इस समारोह का आयोजन 16 नवंबर से एक महीने के लिए किया गया था। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य दो महान पुरातन संस्कृतियों के बीच सेतु निर्माण करना है।