जयंती विशेष : बारीन्द्र कुमार घोष (Barindra Kumar Ghosh) : डेली करेंट अफेयर्स

बारीन्द्र कुमार घोष का जन्म 5 जनवरी 1880 में लंदन में हुआ था। ये अरविंद घोष के छोटे भाई थे एवं उनके क्रांतिकारी विचारों से काफी प्रभावित थे।

बारीन्द्र कुमार घोष और जतिन्द्रनाथ दास ने साथ मिलकर बंगाल में अनेक क्रांतिकारी समूहों को संगठित किया। इन्होंने अनुशीलन समिति के साथ काम किया एवं क्रांतिकारी आंदोलन को पूरे बंगाल में फैलाने में सक्रिय भूमिका निभाई।

इन्होंने क्रांति से सम्बंधित ‘भवानी मंदिर’ नामक पुस्तक लिखी। बारीन्द्र कुमार घोष ने भूपेन्द्र नाथ दत्त के साथ मिलकर ‘युगांतर’ नामक साप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ किया।

जल्द ही युगांतर के नाम से एक क्रांतिकारी संगठन भी बनाया गया एवं इसने पूरे बंगाल में सर्वत्र क्रांति का बिगुल बजाया। बारीन्द्र कुमार घोष के द्वारा लिखी गई दूसरी पुस्तक ‘वर्तमान रणनीति’ बंगाल के क्रांतिकारियों की पाठ्यपुस्तक बन गई।

बारीन्द्र कुमार घोष और बाघ जतिन ने पूर्वी बंगाल में युवा क्रांतिकारियों की फौज खड़ीकर दी। इसके साथ ही इन लोगों ने कलकत्ता के मणिकतुल्ला में ‘मणिकतुल्ला समूह’ बनाया। इस स्थान पर क्रांतिकारी गुप्त रूप से बम बनाते थे।

कई सारे क्रांतिकारी गतिविधियों में बार बारीन्द्र कुमार घोष की सक्रिय भूमिका रही। बारीन्द्र गुट द्वारा समर्थित खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी के द्वारा किंग्सफोर्ड की हत्या का भी प्रयास किया गया लेकिन उसमें असफल हो गए। इसके उपरांत पुलिस के द्वारा क्रांतिकारियों की धरपकड़ तेज हो गई जिसमें बारीन्द्र कुमार घोष कई साथियों के साथ गिरफ्तार हो गए।

पकड़े गए क्रांतिकारियों पर ‘अलीपुर बम केस’ ( Alipore Bomb Case) चलाया गया । बारीन्द्र घोष और अरविंद घोष 2 मई ,1908 को अन्य क्रांतिकारियों के साथ गिरफ्तार कर लिए गए। अलीपुर बॉम्ब केस में बारीन्द्र घोष और जुगान्तर पार्टी ( Jugantar Party) के ही एक अन्य सदस्य उल्लासकर दत्ता को मौत की सजा सुनाई गईं।

लेकिन प्रसिद्ध वकील देशबंधु चितरंजन दास ने इनका केस लड़ा और और इनकी सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया। आजीवन कारावास के रूप में उन्हें काले पानी की सजा दी गई। बारीन्द्र कुमार घोष को अंडमान निकोबार में स्थित भयावह सेल्युलर जेल में भेज दिया गया जहां पर वह 1920 तक कैद में रहे।

प्रथम विश्व उपरांत बारीन्द्र कुमार घोष को को रिहा कर दिया गया जिसके उपरांत उन्होंने पत्रकारिता प्रारंभ की। उन्होंने अंग्रेजी साप्ताहिक “The Dawn of India” का प्रकाशन किया एवं ‘The statesman’ समाचार पत्र से भी वह जुड़े रहें। इन्होंने बांग्ला दैनिक समाचार पत्र ‘दैनिक बसुमती’ का भी संपादन किया।

18 अप्रैल 1959 को इस महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी का देहांत हो गया।