धनु जात्रा (Dhanu Jatra) : डेली करेंट अफेयर्स

हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने एक ट्वीट के माध्यम से धनु जात्रा शुरू होने पर सभी को बधाई दी है। उन्होंने लिखा है कि जीवंत ‘धनु जात्रा’ ओडिशा की संस्कृति से जुड़ी हुई है। यह यात्रा हमारे समाज में सद्भाव और खुशी की भावना को आगे बढ़ाएगी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इस ‘धनु जात्रा’ के शुरू होने पर सभी को बधाई दी है।

दरअसल ओडिशा में आयोजित होने वाले मशहूर ‘धनु जात्रा’ महोत्सव की शुरुआत हो चुकी है और खास बात ये है कि इस साल इस महोत्सव को 75 साल पूरे हो जाएंगे। साल 2014 में केंद्रीय संस्कृति विभाग 11 दिवसीय इस ‘धनु जात्रा’ को राष्ट्रीय उत्सव का दर्जा दे चुकी है और इसे ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में भी शामिल किया जा चुका है।

यह खुले स्थान पर मनाया जाने वाला एक वार्षिक नाट्य आधारित उत्सव है जो भगवान कृष्ण और उनके राक्षस मामा राजा कंस की पौराणिक कहानी पर आधारित है। ये राजा कंस द्वारा आयोजित धनु समारोह को देखने के लिये कृष्ण और बलराम के मथुरा आगमन के बारे में है। इसे ओडिशा के बारगढ़ शहर और उसके आसपास के क्षेत्रों में मनाया जाता है।

बात इस उत्सव के इतिहास की करें तो इसकी शुरुआत साल 1947-48 में देश की आजादी के उपलक्ष्य में की गई थी और तब से हर साल इस महोत्सव का आयोजन किया जाता है। यह महोत्सव 11 दिनों तक चलता है। इसमें एक प्रतियोगिता आयोजित की जाती है और प्रतियोगिता जीतने वाला व्यक्ति 11 दिनों तक कंस की भूमिका में रहता है। पूरे उत्सव के दौरान यानी 11 दिनों तक कंस महाराज ही शासन करते हैं। रोचक बात ये है कि स्थानीय लोगों के साथ-साथ मंत्री, डीएम और अन्य शासकीय पदाधिकारी भी कंस के आदेश का पालन करते हैं। यात्रा के माध्यम से कंस महाराज गांव-गांव घूम कर विकास कार्यों का जायजा लेते है। इस दौरान वे दरबार भी आयोजित करते हैं, जहां जनता अपनी फ़रियाद लेकर पहुंचती है। जनता की समस्यायों को हल करने के लिए कंस महाराज कई तरह के आदेश भी जारी करते हैं।

ग़ौरतलब है कि ‘धनु जात्रा’ महोत्सव को दुनिया के सबसे बड़े मुक्ताकाश रंगमंच के रूप में भी जाना जाता है। यह यात्रा दुनिया भर में अपनी पहचान बना चुकी है। इस महोत्सव के दौरान ओडिशा का बरगढ़ कस्बा रंगमंच और मथुरा में तब्दील हो जाता है, यहां बहने वाली जीरा नदी भी यमुना नदी की तरह बन जाती है।