Year Ender 2022 Series : पर्यावरण वार्षिकी 2022

तमाम यादों के साथ साल 2022 ख़त्म हो चुका है। नया साल 2023, नई उम्मीद और नई आशाओं के साथ शुरू हो रहा है। लेकिन अगर साल 2022 के पन्नों को पलट कर देखेंगे, तो कई ऐसी पर्यावरणीय घटनाएं हुईं हैं जिन्होंने हमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित किया।

आर्द्र भूमि

वर्ष 2022 में भारत के 26 आर्द्र भूमियों को रामसर स्थल के रूप में चिन्हित किया गया है। जिससे देश में अब कुल रामसर स्थलों की संख्या 75 हो गयी है। बता दें कि रामसर संधि आर्द्रभूमि के संरक्षण और कुशलता से उपयोग के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संधि है। इसका नाम कैस्पियन सागर पर ईरानी शहर रामसर के नाम पर रखा गया है, जहां दो फरवरी, 1971 को संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे।

बम चक्रवात

क्रिसमस से ठीक पहले आर्कटिक महासागर से आ रही खतरनाक बर्फीली हवाओं ने अमेरिका समेत पड़ोसी देशों में कोहराम मचा रखा है। इन तेज़ बर्फीली हवाओं को बम चक्रवात नाम दिया जा रहा है। दरअसल बम चक्रवात की घटना तब घटती है जब वायुदाब एकाएक नीचे गिर जाता है। इसमें जब तेजी से दो वायु राशियों के बीच दाबांतर बढ़ने लगता है तो इस प्रक्रिया को बॉम्बोजेनेसिस कहते हैं। इस प्रक्रिया के तहत वायुदाब 24 घंटे के अंदर 24 मिलीबार या उससे अधिक स्तर तक नीचे गिर जाता है और 100 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ़्तार से बर्फीली हवाएं चलने लगती हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, वायुदाब की यह स्थिति तब बनती है जब गर्म हवा का द्रव्यमान ठंडी हवा के द्रव्यमान से टकराता है, जिससे भारी बारिश और हिमपात लाने वाला डिप्रेशन बन जाता है। ये चक्रवात आमतौर पर सर्दियों के महीने में आते हैं और भारी तबाही मचाते हैं।

फुजिवारा इफेक्ट

सितंबर, 2022 पश्चिमी प्रशांत महासागर में दो उष्णकटिबंधीय चक्रवातों सुपर टाइफून हिनामनोर तथा गार्डो पर फुजिवारा इफेक्ट देखा गया। बता दें कि अमूमन एक ही समय में और एक ही महासागर क्षेत्र में विकसित होने वाले उष्णकटिबंधीय तूफानों के बीच 1,400 किमी से कम दूरी पर उनके केंद्रों के बीच किसी भी तरह की अंतः क्रिया को फुजिवारा प्रभाव के रूप में जाना जाता है। यानी ये दोनों तूफ़ान एक दूसरे को किस तरह से प्रभावित करते हैं यही फुजिवारा प्रभाव है।

चीता पुनर्वास परियोजना

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 17 सितम्बर को मध्यप्रदेश में श्योपुर जिले के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में आठ चीतों को प्राकृतिक वास में छोडा। ‘प्रोजेक्ट चीता’ एक राष्ट्रीय परियोजना है, जिसमें राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और मध्य प्रदेश सरकार शामिल हैं। चीता पुनर्वास परियोजना के लिए मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान को ही चुने जाने के पीछे का कारण है नामीबिया और कूनो नेशनल पार्क की जलवायु में समानता का होना। चीता स्थल पर सबसे तेज़ दौड़ने वाले पशु है जिसे वर्ष 1952 में भारत में विलुप्त घोषित कर दिया गया था।

बोमा तकनीक

बोमा तकनीक की बात करें तो अफ़्रीका में इस्तेमाल होने वाले इस अनोखी तकनीक का भारत के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में प्रयोग किया गया। इस तकनीक का प्रयोग जंतुओं के पुनर्वास के लिए किया जाता है। बोमा कैप्चरिंग तकनीक, जंगली जीवों के स्थानांतरण (Wildlife Shifting) की प्रक्रिया है जिसमें 'फ़नल' या 'वी आकार' (बोमा) के बाड़ में जानवरों को प्रवेश कराते हैं। जानवरों को भ्रमित करने के लिये बोमा में घास की चटाई और हरे रंग के जाल लगाए जाते हैं। इस प्रक्रिया में जानवरों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुँचता। इस तकनीक का सर्वप्रथम प्रयोग अफ्रीका में जंगली कुत्तों की संख्या को प्रबंधित करने के लिए किया गया।

टोंगा में ज्वालामुखी विस्फोट

साल के शुरुआत में टोंगा के दक्षिणी प्रशांत द्वीप में एक भयानक ज्वालामुखी विस्फोट हुआ था। इस विस्फोट से प्रशांत महासागर के चारों ओर सुनामी लहरें उठी रही हैं। टोंगा द्वीप समूह ‘रिंग ऑफ फायर’ में मौजूद है, जो कि प्रशांत महासागर के बेसिन को घेरने वाली ऊँची ज्वालामुखी और भूकंपीय गतिविधि की परिधि है।

राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने 2022 से शुरू करते हुए हर साल 5 अक्टूबर को राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया है। इसका उद्देश्य डॉल्फिन संरक्षण के संबंध में लोगों में जागरूकता फैलाना है। बता दें कि डॉल्फ़िन स्वस्थ जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के एक आदर्श संकेतक के रूप में काम करती हैं। IUCN की Red List में गंगा डॉल्फिन को लुप्तप्राय प्रजातियों की श्रेणी में रखा गया है। मौजूदा वक्त में पानी का डायवर्सन, प्रदूषण और आवासों का नष्ट होना इनके लिए प्रमुख संकट हैं। ऐसे में, इनका संरक्षण काफी जरूरी हो जाता है।

सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन

सिंगल यूज़ प्लास्टिक के बढ़ते इस्तेमाल को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने 01 जुलाई 2022 से इस पर बैन लगा दिया। सिंगल यूज प्लास्टिक की ....... जैसा कि इसके नाम से ही जाहिर है कि एक बार इस्तेमाल करने के बाद इसे फेंक दिया जाता है। इसका नतीज़ा ये होता है कि जगह-जगह आपको प्लास्टिक कचरे का अंबार देखने को मिल सकता है। अब दिक्कत यह है कि ये प्लास्टिक हजारों साल तक वातावरण में बने रहते है यानी नष्ट नहीं होते हैं। जिसके कारण जीव, जंतु और पर्यावरण को भारी नुकसान होता है।

डुगांग

मानवीय गतिविधियों का सबसे ज्यादा असर दुनिया की जैवविविधता पर पड़ा है। इसमें कई प्रजातियां शामिल हैं जिसमे से एक है डुगांग। भारत की तटीय सीमा से लगे सागरों में पाई जाने वाली इस प्रजाति के संरक्षण के लिए देश का पहला डुगांग संरक्षण केंद्र स्थापित करने का फैसला लिया गया। बता दें कि डुगांग को समुद्री गाय भी कहा जाता है। इनकी आईयूसीएन स्थिति सुभेद्य (Vulnerable) है। इन्हें शिकार, इनके पर्यावास का क्षय और मानवीय मत्स्यन गतिविधियों से खतरा है।

द स्टॉकहोम सम्मेलन के 50 वर्ष

'1972 का संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सम्मेलन' या 'द स्टॉकहोम सम्मेलन' ने 2022 में अपने 50 वर्ष पूरे किए। इसी उपलक्ष्य में स्वीडन में स्टॉकहोम +50 सम्मेलन आयोजित किया गया। स्टॉकहोम कन्वेंशन कानूनी रूप से बाध्यकारी एक अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन है। इसका मकसद पर्यावरण में उपस्थित स्थाई कार्बनिक प्रदूषकों को धीरे-धीरे कम करना है। इस कन्वेंशन में 183 पार्टियाँ शामिल हैं, जिसमें से 151 देशों ने इस कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत ने मई 2002 में इस कन्वेंशन पर हस्ताक्षर और जनवरी 2006 में इसका अनुसमर्थन किया था।

:: साल 2022 के महत्वपूर्ण रिपोर्ट्स, सूचकांक और सम्मेलन ::

विश्व पर्यावरणीय प्रदर्शन सूचकांक 2022

वर्ल्ड इकनोमिक फोरम द्वारा विश्व पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक-2022 में भारत सबसे निचले पायदान पर रहा है। 180 देशों की रैंकिंग में भारत 18.9 के स्कोर के साथ 180वें स्थान पर था।  हालांकि भारत के केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने संकेतकों और अनुमानों के अवैज्ञानिक तरीकों पर आधारित होने के कारण इस रिपोर्ट को ख़ारिज कर दिया।

भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2021

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने 17वीं भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2021 जारी की है। इस रिपोर्ट को द्विवार्षिक रूप से ‘भारतीय वन सर्वेक्षण’ द्वारा प्रकाशित किया जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत का कुल वन और वृक्ष आच्छादन अब 80.9 मिलियन हेक्टेयर हो चुका है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्रफल का 24.62% है जो वर्ष 2019 में 21.67% से अधिक है। वन सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021 के मुताबिक वन क्षेत्र में अधिकतम बढ़ोतरी आंध्र प्रदेश (647 वर्ग किमी) में दर्ज की गई, इसके बाद तेलंगाना (632 वर्ग किमी) और ओडिशा (537 वर्ग किमी) का स्थान है। रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष पूर्वाेत्तर के राज्यों से सकारात्मक परिणाम प्राप्त नहीं हुए हैं। वनावरण में सबसे अधिक कमी पूर्वोत्तर के पाँच राज्यों - अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम और नगालैंड में हुई है।

नीति आयोग की 'Harnessing Green Hydrogen' रिपोर्ट

नीति आयोग ने थिंक टैंक RMI इंडिया के सहयोग से “Harnessing Green Hydrogen- Opportunities for Deep Decarbonisation in India” शीर्षक से अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की। रिपोर्ट में, नीति आयोग ने भारत में ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इसके उत्पादन पर जीएसटी और सीमा शुल्क को कम करने या छूट देने की सिफारिश की है। ग्रीन हाइड्रोजन वह गैस है, जो पानी के इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से उत्पन्न होती है।

ग्लोबल क्लीन एनर्जी एक्शन फोरम-2022

भारत ने अमेरिका के पिट्सबर्ग में आयोजित ग्लोबल क्लीन एनर्जी ऐक्शन फोरम-2022 में ‘इनोवेशन रोड मैप ऑफ दी मिशन इंटीग्रेटेड बायो-रीफायनरी’ के आरंभ करने की घोषणा की। यह फोरम सातवें मिशन इनोवेशन और 13वें क्लीन एनर्जी मिनिस्टीरियल-2022 का संयुक्त सम्मेलन था। इसमें भारत का प्रतिनिध्त्वि डॉ. जितेंद्र सिंह ने किया थ।

COP-27 सम्मलेन

एनएफसीसीसी (UNFCCC) यानि जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क अभिसमय का COP-27 सम्मेलन 7-18 नवंबर 2022 के मध्य, मिस्र के शर्म-अल-शेख मे संपन्न हुआ। बैठक में 'लॉस एंड डैमेज' नामक एक नए फंड की घोषणा की गयी जिसके जरिए जलवायु परिवर्तन की समस्या को दूर करने की कोशिश की जाएगी। इस सत्र से भारत भी मैंग्रोव अलायंस फॉर क्लाइमेट में शामिल कर लिया गया है।

:: साल 2022 के दौरान सुर्खियों में रहे वन्य जैव अभ्यारण्य ::

कावेरी दक्षिणवन्यजीव अभ्यारण्य

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 26ए(1)(बी) के तहत कृष्णागिरी और धर्मपुरी के आरक्षित वनों में एक क्षेत्र को कावेरी दक्षिण वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया है। यह तमिलनाडु का 17वां वन्यजीव अभयारण्य है। कावेरी दक्षिण वन्यजीव अभयारण्य तमिलनाडु के कावेरी उत्तर वन्यजीव अभयारण्य को पड़ोसी राज्य कर्नाटक में कावेरी वन्यजीव अभयारण्य से जोड़ता है। यह 35 स्तनपायी प्रजातियों और 238 पक्षी प्रजातियों का घर है।

'काझुवेली पक्षी अभयारण्य'

तमिलनाडु में विल्लुपुरम के पास स्थित काज़ुवेली आर्द्रभूमि को पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और वन विभाग द्वारा 16वां पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया है। यह अभयारण्य पूर्वी तट के साथ बंगाल की खाड़ी के निकट स्थित काजुवेली वेटलैंड पुलिकट झील के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा ब्रैकिश वाटर लेक माना जाता है।

फंसड़ वन्यजीव अभयारण्य

हाल ही में महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में स्थित फंसड़ वन्यजीव अभयारण्य में गिद्धों की संख्या कम होने पर उनके लिए खाद्य केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया है। गैर-लाभकारी संगठन ग्रीन वर्क्स ट्रस्ट इसके निर्माण सहयोगी संस्था है।

केरल में एशिया का सबसे बड़ा बर्ड एटलस

दक्षिण भारतीय राज्य केरल ने अपना पहला साइंटिफिक बर्ड एटलस (Scientific Bird Atlas) लॉन्च किया है। यह बर्ड एटलस भौगोलिक विस्तार (Geographical Extent) के हिसाब से एशिया का सबसे बड़ा बर्ड एटलस है जिसमें 25000 चेकलिस्ट का कवरेज है।

अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MOEF&CC) द्वारा, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य की सीमा के आसपास 454.65 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र (Askot Wildlife Sanctuary Eco-sensitive Zone) (ईएसजेड) घोषित किया गया है। अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य की स्थापना लुप्तप्राय प्रमुख प्रजातियों कस्तूरी मृग और उसके आवास की रक्षा के लिए की गई थी। अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य को मस्क डियर पार्क (Musk Deer Park) के नाम से भी जाना जाता है।

कडावुर फारेस्ट रिज़र्व

तमिलनाडु सरकार द्वारा कडावुर फारेस्ट रिज़र्व में भारत की पहली स्लेंडर लोरिस अभयारण्य को अधिसूचित किया गया। स्लेंडर लोरिस छोटे निशाचर स्तनधारी हैं जो आम तौर पर पेड़ों पर रहते हैं। इनकी दो प्रजातियां होती हैं - श्रीलंका में पाए जाने वाले रेड स्लेंडर लोरिस और भारत में पाया जाना वाल ग्रे स्लेंडर लोरिस।

:: साल 2022 के नए खोजे गए तमाम जंतुओं और संकटापन्न प्रजातियां ::

भारत सकुरा मैप में शामिल हो गया है

मणिपुर में चेरी ब्लॉसम की एक नई प्रजाति की खोज की गई है। चेरी ब्लॉसम या सकुरा जापान का राष्ट्रीय पुष्प है। इस खोज के साथ ही भारत सकुरा मैप में शामिल होने वाला 28वां देश बन गया है। खोजी गई इस नई प्रजाति का नाम दिल्ली विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञानी प्रोफेसर Dr Dinabandhu Sahoo के नाम पर Prunus Dinabandhuna रखा गया है।

रेड सैंडर्स (रक्त चंदन) संकटापन्न की सूची में शामिल

रेड सैंडर यानी रक्त चंदन की लकड़ी जो अभी तक IUCN के रेड डेटा लिस्ट में नियर थ्रेटेंड (Near Threatened) के रूप में सूचीबद्ध थी, अब उसे संकटापन्न (Endangered) की सूची में डाल दिया गया है। यह भारत में सर्वाधिक तस्करी की जाने वाली लकड़ी है जो विश्व में केवल शेषाचलम की पहाड़ी सहित पूर्वी घाट में एक सीमित भौगोलिक क्षेत्र में पायी जाती है।

'द स्टेट ऑफ़ द वर्ल्डस बर्ड्स' रिपोर्ट

बर्ड लाइफ इंटरनेशनल की वार्षिक समीक्षा 'द स्टेट ऑफ़ द वर्ल्डस बर्ड्स' ने चिंतित करने वाले आंकड़े प्रस्तुत किये है। इसके अनुसार पक्षियों की 10,994 जीवित प्रजातियों में से 48% की आबादी घट रही है। इसमें से 798 को विलुप्तप्राय, 460 को लुप्तप्राय और 223 को गंभीर रूप से लुप्तप्राय की श्रेणी में रखा गया है।

विलुप्त तस्मानियाई टाइगर को फिर से जीवित करने की योजना

अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने जीन-एडिटिंग तकनीकी का उपयोग करके, 1930 के दशक में विलुप्त हो चुके थायलासीन या तस्मानियाई टाइगर को पुनर्जीवित करने के लिए $15 मिलियन की परियोजना शुरू की है। साल 1980 के दशक में ऑस्ट्रेलियाई मुख्य भूमि, तस्मानिया और न्यू गिनी द्वीपों की इस मूल प्रजाति के विलुप्त होने की आधिकारिक घोषणा की गई थी।

19वां CITES सम्मलेन पनामा में आयोजित

भारत ने पनामा में हुए CITES (कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन एनडेंजर्ड स्पीसीज) के 19वें सम्मलेन में रेड क्राउंड रूफ टर्टल को परिशिष्ट II से परिशिष्ट I में शामिल करने का प्रस्ताव रखा है। रेड क्राउन रूफ्ड टर्टल भारत के स्थानिक 24 प्रजातियों में से एक मीठे पानी में पाए जाने वाली कछुए की प्रजाति है जो नेस्टिंग साइट्स वाली गहरी बहने वाली नदियों में पाई जाती है। भारत के साथ-साथ यह कछुआ बांग्लादेश और नेपाल में भी पाया जाता है।