राष्ट्रीय अभिलेखागार (National Archives of India) : डेली करेंट अफेयर्स

विश्व में जहां सदियों पुरानी सभ्यता को बचाए जाने के लिए पुरात्तवविद परेशान हैं, वंही भारत पिछले कुछ सालों के ही इतिहास को नहीं समेट पा रहा है। खबर ये है कि भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार यानी NAI के पास 1962, 1965, और 1971 के युद्धों और यहां तक कि कृषि सुधारों के महत्वपूर्ण दौर यानी हरित क्रांति के रिकॉर्ड ही नहीं हैं।

NAI एक संस्था है जो संस्कृति मंत्रालय के तहत काम करती है। इसकी स्थापना साल 1891 में तत्कालीन ब्रिटिश भारत की राजधानी कलकत्ता में की गयी थी, लेकिन अभी वर्तमान में ये दिल्ली में स्थित है। NAI का मूल नाम इंपीरियल रिकॉर्ड विभाग था और ये दक्षिण-पूर्व एशिया का सबसे बड़ा अभिलेखागार है। यह सरकार और उसके संगठनों के रिकॉर्ड अपने पास रखता है और संरक्षित करता है। यह क्लासिफाइड इनफार्मेशन को छोड़कर सभी पुराने सरकारी रिकॉर्डस को स्टोर करने का काम करता है। इसके अलावा, NAI इन सरकारी रिकार्ड्स को अभिलेख पटल पोर्टल पर डिजिटली भी मेन्टेन कर रहा है, हालाँकि अभी सभी रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध नहीं हैं लेकिन यह काम प्रगति पर है।

NAI को यह रिकॉर्ड मिलते कहाँ से हैं या यूँ कहें कि ये रिकॉर्ड देता कौन है?

दरअसल सार्वजनिक रिकॉर्ड अधिनियम, 1993 के अनुसार, सभी केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों को अपने 25 वर्ष से ज्यादा पुराने रिकॉर्ड को NAI को सौंपना होता है। हालाँकि सरकारी विभाग या मंत्रालय क्लासिफाइड इनफार्मेशन को सौंपने के लिए बाध्य नहीं हैं और कौन सी इनफार्मेशन, क्लासिफाइड है ये निर्णय भी सम्बंधित मंत्रालय या विभाग ही लेता है। यानी इस जगह मंत्रालय या विभाग अपनी मर्जी से चलते हैं। आपको बता दें कि क्लासिफाइड इनफार्मेशन वो जानकारियां होती हैं जो किसी भी तरह से संवेदनशील हों जैसे कि इन्हें प्रकाशित करने के लिए क़ानून में मनाही है या ये काफी गोपनीय जानकारियां होती हैं। इस प्रकार की सूचनाएं या जानकारी अगर पब्लिक के सामने आ जाएँगी तो इससे किसी तरह के नुकसान होने की सम्भावना होती है इसलिए ये सूचनाएं सार्वजनिक नहीं की जाती हैं।  एक और सवाल उठता है कि इन रिकॉर्डस को संरक्षित करने की इतनी ज़रूरत ही क्यों है? दरअसल यहाँ पर सरकारी दस्तावेज, प्राच्य अभिलेख, मानचित्र और गणमान्य व्यक्तियों के निजी अभिलेख भी सुरक्षित है और ये सभी अभिलेखीय सामग्री शोधकर्ताओं, प्रशासकों और अन्य उपयोगकर्ताओं को अमूल्य सूचना प्रदान करती है। साथ ही, भावी पीढ़ियों के लिए भी इनका संरक्षण किया जाना जरुरी होता है, आने वाली हर पीढ़ी को अपने इतिहास की जानकारी के लिए आसानी से सामग्री मिल सके।

पूरा मामला क्या है?

दरअसल भारत के कुल 58 मंत्रालय और 93 विभाग में से NAI के पास 36 मंत्रालयों और विभागों सहित केवल 64 एजेंसियों के रिकॉर्ड हैं। NAI के अनुसार कई केंद्रीय मंत्रालयों और विभाग इस संस्था को अपना रिकॉर्ड नहीं दे रहे हैं। जिसमें प्रमुख रूप से जिन दस्तावेजों के NAI के पास न होने की बात की जा रही है वो हैं - हरित क्रांति, 1962 के युद्ध, 1965 के युद्ध और 1971 के युद्ध के रिकॉर्ड। इसीलिए कुछ लोग सरकार पर ये आरोप लगा रहे हैं कि NAI के पास इस तरह के रिकॉर्ड न होने का सीधा मतलब है कि अतीत की जानकारियों से छेड़छाड़ की जा रही है।