प्रलय मिसाइल (Pralay Missile) : डेली करेंट अफेयर्स

क्या है ख़ासियत?

भारत-चीन सीमा विवाद के बीच रक्षा मंत्रालय ने प्रलय मिसाइल को चीन और पाकिस्तान से लगी सीमा पर तैनात करने का फैसला लिया है। रक्षा मंत्रालय ने सशत्र बालों के लिए 120 प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल खरीदने की परियोजना को मंजूरी दे दी है। ये पहली बार होगा, जब किसी बैलिस्टिक मिसाइल को स्ट्रैटेजिक कैंपेन के तहत तैनात किया जाएगा। ग़ौरतलब है कि भारत ने 23 दिसंबर, 2021 को ओडिशा के तट पर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से इस बैलिस्टिक मिसाइल ‘प्रलय’ का सफल परीक्षण किया था।

प्रलय मिसाइल को डीआरडीओ ने विकसित किया है और ये ठोस-ईंधन वाला युद्धक मिसाइल भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के ‘पृथ्वी रक्षा वाहन’ पर आधारित है। ये 150-500 किलोमीटर से कम दूरी की सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है और यह 500-1000 किलोग्राम का भार ले जाने में सक्षम है। इसमें नई टेक्नोलॉजी के गाइडेंस सिस्टम में स्टेट-ऑफ-द-आर्ट नेविगेशन एंड इंटिग्रेटेड एवियोनिक्स (यानी एक तय दूरी के बाद रास्ता भी बदल सकती है) भी लगाया गया है। अभी मौजूदा वक़्त में भारतीय सेना के पास 500 किमी की दूरी वाले लक्ष्य पर हमला करने का एकमात्र साधन ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जो काफी सटीक निशाना लगा सकता है। हालांकि ये 200 किलोग्राम या उससे अधिक का भार ले जा सकती है और ये काफी मंहगी प्रणाली भी है। इसीलिए सेना को प्रलय जैसी एक शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल की ज़रूरत थी।

प्रलय चीन की डोंगफेंग मिसाइल का मुकाबला कर सकती है। खास बात यह है कि इसे रात को भी दागा जा सकता है। इंटरसेप्टर मिसाइलों के माध्यम से प्रलय को रोकना दुश्मन के लिए काफी मुश्किल होगा। इसके अलावा इसे जमीन के साथ-साथ कनस्टर लॉन्चर से भी दागा जा सकता है। वैसे DRDO ने अभी तक इस प्रलय मिसाइल की गति का खुलासा नहीं किया है, लेकिन अंदाजा लगाया जा रहा है कि प्रलय मिसाइल दूसरे शॉर्ट रेंज बैलेस्टिक मिसाइलों के मुक़ाबले ज्यादा घातक हो सकती है।