ग्राम रक्षा समिति (Village Defence Committee) : डेली करेंट अफेयर्स

जम्मू-कश्मीर एक पर्वतीय प्रदेश है। यहाँ के दूर-दराज के इलाकों में बसे गाँव तक पहुँचने का रास्ता अत्यंत दुर्गम होता है। साथ ही ये तो आप लोग जानते ही हैं कि कश्मीर की घाटी जितनी खूबसूरत है उतना ही वहाँ आतंक भी है। सीमा विवाद का शिकार हुआ यह क्षेत्र आजादी के समय से ही दुश्वारियां झेल रहा है। कब किस गाँव में कौन सा हादसा होगा ये कोई नहीं जानता। इसलिए स्थानीय लोगों को संकट की घड़ी आने पर सुरक्षा प्रदान करने के लिए वहां ग्राम रक्षा समिति का निर्माण किया जाता था। ग्राम रक्षा समिति एक ऐसा निकाय होता है जो किसी आतंकी हमले के दौरान सैन्य सहायता पहुँचने से पहले लोगों की सुरक्षा करने का काम करती है। ये एक तरह से आत्म सुरक्षा करने वाली बॉडी होती है।

दरअसल साल 1965 और 1971 के भारत-पकिस्तान युद्ध के दौरान पाकिस्तानी जासूसों की सीमा पर घुसपैठ को रोकने के लिए सीमा से सटे हुए गाँवों के सेवानिवृत्त सैनिकों और विकलांग युवाओं को प्रशिक्षित किया गया था। सरकार की यह योजना सफल रही और पाकिस्तानी जासूसों का भारतीय सीमा में प्रवेश करना काफी मुश्किल हो गया। बाद में 1990 के दशक की शुरुआत में कश्मीर में उग्रवाद शुरू हुआ। साल 1993 में किश्तवाड़ में 13 लोगों के नरसंहार के बाद पहली बार नागरिक आबादी को हथियार देने की मांग उठने लगी। इसी को देखते हुए साल 1995 में गृह मंत्रालय ने एक ग्राम रक्षा समिति यानी वीडीसी स्थापित करने का फैसला किया। इसका उद्देश्य कश्मीर के स्थानीय लोगों पर अत्याचार को समाप्त करना और उनके पलायन को रोकना था। यह फैसला कुछ हद तक सफल रहा और इस समिति के बनने के बाद से धीरे-धीरे उग्रवाद पर नियंत्रण होने लगा।

इस समिति में वॉलंटियर्स के अलावा सेवानिवृत्त सैनिक या पुलिसकर्मी शामिल हुआ करते थे। समिति के सदस्यों को सेना द्वारा आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाता था। हालाँकि साल 2002 से इस समिति से जुड़े कई विवाद सामने आने लगे, जैसे अधिकारों का गलत इस्तेमाल या इसके सदस्यों द्वारा बलात्कार के कुछ मामले सामने आने लगे। इससे लोगों का विश्वास इस समिति से उठने लगा और इन समितियों को भंग करने की मांग उठने लगी। इसके बाद ये समितियाँ कमजोर पड़ने लगीं। लेकिन अब इसे एक बार फिर से पुनर्गठित किया जा रहा है।

दरअसल बीते कुछ महीनों से कश्मीर की घाटी में फिर से उग्रवाद अपने पैर पसार रहा है। हाल ही में जम्मू कश्मीर के ऊपरी डांगरी गाँव में मिलिटेंट्स ने दो दिन के अंदर 6 लोगों को मार दिया। इसके बाद से स्थानीय लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और सरकार से मांग कर रहे हैं कि उन्हें आत्म सुरक्षा के लिए हथियार उपलब्ध कराये जाएँ। लोगों की मांग का जवाब देते हुए जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि उन्हें भी डोडा जिले की तरह एक ग्राम रक्षा समिति प्रदान की जाएगी।

इस बार इस वीडीसी यानी ग्राम रक्षा समिति का नाम बदलकर अब ग्राम रक्षा गार्ड (वीडीजी) कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर के संवेदनशील इलाकों में वीडीजी स्थापित करने की नई योजना को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले साल मार्च में मंजूरी दी थी। नई योजना के तहत, वीडीसी का नेतृत्व करने वाले व्यक्तियों को सरकार द्वारा प्रति माह 4,500 रुपये का भुगतान किया जाएगा, जबकि अन्य सदस्यों को 4,000 रुपये प्रति माह दिए जायेंगे। इसके अलावा वीडीजी के सदस्य सम्बंधित जिले के एसपी या एसएसपी के निर्देशन में काम करेंगे। उम्मीद है कि स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए ग्राम रक्षा गार्ड की स्थापना करना एक सकारात्मक कदम साबित होगा।