क्या है ‘सागर परिक्रमा’ कार्यक्रम? (What is the 'Sagar Parikrama' Programme?) : डेली करेंट अफेयर्स

महासागर दुनिया के सबसे बड़े ऐसे इकोसिस्टम हैं, जोकि पृथ्वी के लगभग तीन-चौथाई हिस्से को कवर करते हैं। इतना ही नहीं ये आजीविका, जलवायु परिवर्तन, वाणिज्य एवं सुरक्षा जैसे उभरते हुए जटिल एवं परस्पर जुड़े विकास के मुद्दों के नजरिए से भी काफी महत्वपूर्ण हैं। ऐसे में इनकी उपेक्षा करना किसी भी अर्थव्यवस्था के लिहाज से अच्छा नहीं कहा जा सकता। इसीलिए हाल ही में भारत सरकार ने एक ‘सागर परिक्रमा’ नामक कार्यक्रम की शुरुआत की।

भारत के तटीय राज्यों की अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और आजीविका के लिए महासागर बेहद ही महत्वपूर्ण हैं। देश में 8118 किलोमीटर लंबी तटीयरेखा है, जोकि तटवर्ती 9 राज्यों और 4 केंद्र-शासित प्रदेशों से होकर गुजरती है। साथ ही, ये लाखों तटीय मछुआरों को आजीविका प्रदान करती है। इसी महत्व को देखते हुए बीते 5 मार्च को केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला ने एक 'सागर परिक्रमा' कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम का आयोजन मत्स्य पालन विभाग, राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड, भारतीय तटरक्षक बल, भारतीय मत्स्य सर्वेक्षण, गुजरात समुद्री बोर्ड और मछुआरों के प्रतिनिधियों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

ये कार्यक्रम ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के एक भाग के रूप में शुरू किया गया है। इसके तहत एक पूर्व-निर्धारित समुद्री मार्ग की नेविगेशनल यात्रा की जाएगी जो सभी तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से होकर गुजरेगी। इसका उद्देश्य सभी मछुआरों, मछली किसानों और अन्य हितधारकों के साथ एकता का भाव दर्शाना है। साथ ही, तटीय मछुआरों की समस्याओं को जानने के लिए मछुआरों एवं मात्स्यिकी से जुड़े समुदायों और हितधारकों के साथ संवाद करने के उद्देश्य से इस यात्रा को आयोजित किया जा रहा है। ‘सागर परिक्रमा’ की यह यात्रा देश की खाद्य सुरक्षा, तटीय मछुआरा समुदायों की आजीविका और समुद्री इकोसिस्टम की सुरक्षा के लिए समुद्री मत्स्य संसाधनों के उपयोग में स्थायी संतुलन पर केंद्रित होगी। बता दें कि 'आजादी का अमृत महोत्सव' भारत सरकार की आजादी के 75वें साल और अपने लोगों, संस्कृति एवं उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास को रेखांकित करने और उसका उत्सव मनाने से जुड़ी एक महत्वपूर्ण पहल है।

‘सागर परिक्रमा’ यात्रा की शुरुआत गुजरात के मांडवी स्थित श्यामीजी कृष्ण वर्मा स्मारक से की गई। इस परिक्रमा को चरणबद्ध रूप से गुजरात के अन्य जिलों और देश के अन्य राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों में आयोजित किया जाएगा। परिक्रमा में राज्य के मत्स्य अधिकारी, मछुआरों के विभिन्न प्रतिनिधि, मत्स्यपालन से जुड़े किसान, उद्यमी, हितधारक, पेशेवर, अधिकारी और देश भर के वैज्ञानिक शामिल होंगे। कार्यक्रम के तहत समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण के लिए तमाम उपायों को अपनाने के लिए प्रयास किया जाएगा। इसमें मछली किसानों, प्रगतिशील मछुआरों और युवा मत्स्य उद्यमियों को पीएम मत्स्य संपदा योजना से संबंधित प्रमाण पत्र भी प्रदान किए जाएंगे।