क्या होती है रॉकेट की अनकंट्रोल्ड रीएंट्री? (What is uncontrolled re-entry of rocket?) : डेली करेंट अफेयर्स

हाल ही में आउटर स्पेस इंस्टीट्यूट (OSI) ने खुला पत्र प्रकाशित किया है जिसमें 140 से अधिक विशेषज्ञों और गणमान्य व्यक्तियों ने हस्ताक्षर किये हैं। इस पत्र में विभिन्न राष्ट्रों और बहुपक्षीय संस्थानों से रॉकेट के अनियंत्रित पुनः प्रवेश को प्रतिबंधित करने का आह्वान किया गया है।

रॉकेट का अनियंत्रित प्रवेश क्या होता है?

जब किसी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में प्रक्षेपित किया जाता है तो ज़्यादातर रॉकेट पृथ्वी की कक्षा में पहुँचने से पहले अपने सारे पुर्जे अलग कर देते हैं और ऑर्बिट में केवल पेलोड ही प्रवेश करता है, जिसमें एक छोटा इंजन लगा रहता है। अब जो पुर्जे राकेट से अलग होते हैं वो वापस पृथ्वी पर आने लगते हैं। इनमें से ज़्यादातर तो रॉकेट के छोटे टुकड़े होते हैं और पृथ्वी के वायुमंडल में पहुँचने से पहले ही जलकर राख हो जाते हैं, लेकिन कुछ बड़े टुकड़े होते हैं जो पृथ्वी पर वापस आ जाते हैं। और ये निश्चित नहीं होता कि ये टुकड़े पृथ्वी के धरातल पर कहाँ गिरेंगे। ये टुकड़े अपने भार, हवा की गति और पर्टिकुलर कोण के आधार पर पृथ्वी की सतह से टकराते हैं जिसे हम अनियंत्रित प्रवेश कहते हैं, मतलब ये कि रॉकेट के टुकड़ों के बिना किसी मार्गदर्शन के प्राकृतिक दशाओं के अनुसार किसी जगह पर गिर जाते हैं। हालाँकि ज़्यादातर ये टुकड़े समुद्र या महासागर में ही गिरते हैं लेकिन कभी-कभी ये ऐसी जगहों पर गिर जाते हैं जिससे जानमाल का बहुत ज़्यादा नुकसान हो जाता है। OSI ने राकेट के अनियंत्रित पुनः प्रवेश के कारण रूस और चीन की घटनाओं का ज़िक्र किया है। साल 2020 में चीन के रॉकेट लॉन्ग मार्च 5बी के कुछ टुकड़े कई देशों की ज़मीन पर गिरे थे जिससे उस जगह पर काफी नुकसान हुआ था।

इसलिए इस खुले पत्र पर OSI ने विभिन्न देशों से हस्ताक्षर करवाए हैं जिससे सभी अंतरिक्ष एजेंसी राकेट के टुकड़ों के पुनः प्रवेश को नियंत्रित करें और उनके टुकड़े किसी सुरक्षित जगह पर गिरें, जिससे जानमाल को कम से कम नुक्सान पहुंचे।

रॉकेट का अनियंत्रित प्रवेश : चिंता का विषय क्यों?

रॉकेट के ज़मीन पर अनियंत्रित पुनः प्रवेश को लेकर दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है। चूंकि ज़्यादातर उपग्रह पृथ्वी की भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित होते हैं इसलिए रॉकेट के टुकड़े जब पृथ्वी पर गिरते हैं तो ज़्यादातर भूमध्य रेखा के आसपास के ही देशों में गिरते हैं। भूमध्य रेखा के पास अधिकतर गरीब और अल्पविकसित देश हैं। इसलिए जब रॉकेट के पुर्जे इन देशों में गिरते हैं तो इन देशों की अर्थव्यवस्था और मानव संसाधन दोनों को ही नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। और सबसे बड़ी बात ये कि इस अनियंत्रित प्रविष्टि के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कोई विशेष संधि अथवा समझौते नहीं हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सिर्फ लायबिलिटी कन्वेंशन 1972 मौजूद है जिसके तहत स्पेस ऑब्जेक्ट की वजह से होने वाले नुकसान का भुगतान सम्बंधित देश को किया जाता है, लेकिन इस कन्वेंशन में भी रॉकेट री एंट्री से होने वाले नुकसान को रोकने की बात नहीं कही गयी है। हालाँकि राकेट के नियंत्रित पुनः प्रवेश की तकनीक का इस्तेमाल करके उसके प्रवेश को नियंत्रित किया जा सकता है और इससे होने वाली हानि को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।