(डाउनलोड) यूपीएससी आईएएस 2014 (मुख्य परीक्षा) सामान्य अध्ययन पेपर - 4 (Download) UPSC IAS (Mains) 2014 General Studies (Paper - 4) Exam Question Paper


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परीक्षा का नाम (Exam Name): यूपीएससी आईएएस 2014 (मुख्य परीक्षा)

पाठ्यक्रम (Syllabus): प्रश्नपत्र-5: सामान्य अध्ययन-4: (नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिवृत्ति)

विषय (Subject) : सामान्य अध्ययन (पेपर - 4) General Studies (GS) Paper - 4

साल (Year): 2014

माध्यम (Medium): Hindi

निर्देशः प्रश्नों के उत्तर बन्धनी में विनिर्दिष्ट शब्द सीमा से ज्यादा न हों। उत्तर की विषय-वस्तु शब्द सीमा से अधिक महत्वपूर्ण है।

खण्ड - A (Section - A)

प्रश्न 1.

  1. सभी मानव सुख की आकांक्षा करते हैं। क्या आप सहमत है? आपके लिए सुख का क्या अर्थ है? उदाहरण प्रस्तुत करते हुए स्पष्ट कीजिए।
  2. मानव जीवन में नैतिकता किस बात की प्रोन्नति करने की चेष्टा करती है? लोक-प्रशासन में यह और भी अधिक महत्वपूर्ण क्यों है?

प्रश्न 2.

  1. रक्षा सेवाओं के संदर्भ में, ‘देशभक्ति’ राष्ट्र की रक्षा करने में अपना जीवन उत्सर्ग करने तक ही तत्परता की अपेक्षा करती है। आपके अनुसार, दैनिक असैनिक जीवन में देशभक्ति का क्या तात्पर्य है? उदाहरण प्रस्तुत करते हुए इसको स्पष्ट कीजिए और अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
  2. लोक-जीवन में ‘सत्यनिष्ठा’ से आप क्या समझते हैं? आधुनिक काल में इसके अनुसार चलने में क्या कठिनाइयाँ हैं? इन कठिनाइयों पर किस प्रकार विजय प्राप्त कर सकते हैं?

प्रश्न 3.

  1. ‘‘ज्ञान के बिना ईमानदारी कमजोर और व्यर्थ है, परन्तु ईमानदारी के बिना ज्ञान ऽतरनाक और भयानक होता हैं।’’ इस कथन से आप क्या समझते हैं? आधुनिक संदर्भ से उदाहरण लेते हुए अपने अभिमत को स्पष्ट कीजिए।
  2. ‘मनुष्यों के साथ सदैव उनको, अपने-आप में ‘लक्ष्य’ मानकर व्यवहार करना चाहिए, कभी भी उनको केवल ‘साधन’ नहीं मानना चाहिए।’’ आधुनिक तकनीकी-आर्थिक समाज में इस कथन के निहितार्थों का उल्लेख करते हुए इसका अर्थ और महत्व स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 4.

  1. जीवन में नैतिक आचरण के संदर्भ में आपको किस विख्यात व्यक्ति ने सर्वाधिक प्रेरणा दी? उसकी शिक्षाओं का सार प्रस्तुत कीजिए। विशिष्ट उदाहरण देते हुए वर्णन कीजिए कि आप अपने नैतिक विकास के लिए उन शिक्षाओं को किस प्रकार लागू कर पाए हैं।
  2. लोक-सेवकों पर भारी नैतिक उतरदायित्व होता है, क्योंकि वे सत्ता के पदों पर आसीन होते हैं, लोक-निधियों की विशाल राशियों पर कार्रवाई करते हैं, और उनके निणर्यों का समाज और पर्यावरण पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। ऐसे उतरदायित्व को निभाने के लिए, अपनी नैतिक सक्षमता पुष्ट करने हेतु आपने क्या कदम उठाए हैं?

प्रश्न 5.

  1. वर्तमान समाज व्यापक विश्वास-न्यूनता से ग्रसित है। इस स्थिति के व्यक्तिगत कल्याण और सामाजिक कल्याण के संदर्भ में क्या परिणाम है? आप अपने को विश्वसनीय बनाने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर क्या कर सकते है?
  2. अक्सर कहा जाता है कि निर्धनता भ्रष्टाचार की ओर प्रवृत करती है। परन्तु, ऐसे भी उदाहरण की कोई कमी नहीं है जहां संपन्न एवं शक्तिशाली लोग बड़ी मात्रा में भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाते हैं। लोगों में व्याप्त भ्रष्टाचार के आधारभूत कारण क्या है? उदाहरणों के द्वारा अपने उत्तर को सम्पुष्ट कीजिए।

प्रश्न 6. सामाजिक समस्याओं के प्रति व्यक्ति की अभिवृत्ति के निर्माण में कौन-से कारक प्रभाव डालते हैं? हमारे समाज में अनेक सामाजिक समस्याओं के प्रति विषम अभिवृत्तियां व्याप्त हैं। हमारे समाज में जाति प्रथा के बारे में क्या-क्या विषम अभिवृत्तियां आपको दिखाई देती हैं? इन विषम अभिवृत्तियों के अस्तित्व को आप किस प्रकार स्पष्ट करते हैं?

प्रश्न 7. लोक-सेवा के संदर्भ में ‘जवाबदेही’ का क्या अर्थ हैं? लोक-सेवकों की व्यक्तिगत और सामूहिक जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए क्या उपाय अपनाए जा सकते है?

प्रश्न 8. हमें देश में महिलाओं के प्रति यौन-उत्पीड़न के बढ़ते हुए दृष्टांत दिखाई दे रहे हैं। इस कुकृत्य के विरूद्ध विद्यमान विधिक उपबंधों के होते हुए भी, ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़ रही है। इस संकट से निपटने के लिए कुछ नवाचारी उपाय सुझाए।

खण्ड-B (Section - B)

प्रश्न 9. निम्नलिखित प्रश्नों में दिए गए प्रकरणों को ध्यानपूर्वक पढि़ए और उसके बाद पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिएः

आजकल समस्त विश्व में आर्थिक विकास पर अधिक जोर दिया जा रहा है। इसके साथ ही साथ, विकास के कारण पैदा होने वाले पर्यावरणीय क्षरण के सम्बन्ध में चिन्ता भी बढ़ रही है। अनेकों बार, हमारे सामने विकासिक कार्यकलापों और पर्यावरणीय गुणता के बीच सीधा विरोध दिखाई पड़ता है। विकासिक प्रक्रम को रोक देना या उसमें काट-छांट कर देना भी साध्य नहीं है, और ना ही पर्यावरण के क्षरण को बढ़ने देना उचित है, क्योंकि यह तो हमारे सबके जीवन के लिए ही खतरा है।

ऐसे कुछ साध्य रणनीतियों पर चर्चा कीजिए, जिनकों इस द्वन्द्व का शमन करने के लिए अपनाया जा सकता हो और जो हमें धारणीय विकास की ओर ले जा सकती हों।

प्रश्न 10.

मान लीजिए कि आपके निकट मित्रों में से एक, जो स्वयं सिविल सेवा में जाने के लिए प्रयत्नशील है, वह लोक-सेवा में नैतिक आचरण से संबंधित कुछ मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आपके पास आता है। वह निम्नलिखित बिन्दुओं को उठाता हैः

1- आज के समय में, जब अनैतिक वातावरण काफी फैला हुआ है, नैतिक सिद्धांतों से चिपके रहने के व्यक्तिगत प्रयास, व्यक्ति के कैरियर में अनेक समस्याएं पैदा कर सकते हैं। ये परिवार के सदस्यों पर कष्ट पैदा करने और साथ ही साथ स्वयं के जीवन पर जोख़िम का कारण भी बन सकते हैं। हम क्यों न व्यावहारिक बनें और न्यूनतम प्रतिरोध के रास्ते का अनुसरण करें, और जितना अच्छा हम कर सकें, उसे ही करके प्रसन्न रहें?

2- जब इतने अधिक लोग गलत साधनों को अपना रहे है और तंत्र को भारी नुकसान पहुंचा रहे है, तब क्या फर्क पड़ेगा यदि केवल कुछ-एक लोग ही नैतिकता की चेष्टा करे? वे अप्रभावी ही रहेंगे और निश्चित रूप से अन्नतः निराश हो सकते।

3- यदि हम नैतिक सोच-विचार के बारे में अधिक बतंगड़ बनाएंगे, तो क्या इससे देश की आर्थिक उन्नति में रूकावट नहीं आएगी? असलियत में, उच्च प्रतिस्पर्धा के वर्तमान युग में, हम विकास की दौड़ में पीछे छूट जाने को सहन नहीं कर सकते।

4- यह तो समझ आता है कि भारी अनैतिक तौर-तरीकों में हमे फंसना नहीं चाहिए, लेकिन छोटे-मोटे उपहारों को स्वीकार करना और छोटी-मोटी तरफदारियां करना सभी के अभिप्रेरण में वृद्धि कर देता है। यह तंत्र को और भी अधिक सुचारू बना देता है। ऐसे तौर-तरीकों को अपनाने में गलत क्या है?

उपरोक्त दृष्टिकोण का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। इस विश्लेषण के आधार पर अपने मित्र को आपकी क्या सलाह रहेगी।

प्रश्न 11.

आप अनाप-शनाप न सहने वाले, ईमानदार अधिकारी हैं। आपका तबादला एक सुदूर जिले में एक ऐसे विभाग के प्रमुख के रूप में कर दिया गया है, जो अपनी अदक्षता और संवेदनहीनता के लिए कुख्यात है। आप पाते हैं कि इस घटिया कार्य-स्थिति का मुख्य कारण कर्मचारियों के एक भाग में अनुशासनहीनता है। वे स्वयं तो कार्य करते नहीं है और दूसरों के कार्य में भी गड़बड़ी पैदा करते हैं। सबसे पहले आपने उत्पातियों को सुधर जाने की, अन्यथा अनुशासनिक कार्रवाई का सामना करने की चेतावनी दी। जब इस चेतावनी का न के बराबर असर हुआ, तब आपने नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। इसके बदले के रूप में उन्होंने अपने बीच एक महिला कर्मचारी को आपके विरूद्ध महिला आयोग में यौन-उत्पीड़न की एक शिकायत दायर करने के लिए भड़का दिया। आयोग ने तुरन्त आपका स्पष्टीकरण मांगा।

आपको इससे आगे भी लज्जित करने के लिए मामला मीडिया में भी प्रसारित किया गया। इस स्थिति से निपटने के विकल्पों में से कुछ निम्नलिखित हो सकते हैं:

1- आयोग को अपना स्पष्टीकरण दे दीजिए और अनुशासनिक कार्रवाई पर नरमी बरतिए।
2- आयोग को नजरअंदाज कर दीजिए और अनुशासनिक कार्रवाई को मजबूती के साथ आगे बढाइए।
3- अपने उच्च अधिकारियों को संक्षेप में अवगत करा दीजिए, उनसे निर्देश मांगिए और उनके अनुसार कार्य कीजिए।कोई अन्य संभव विकल्प सुझाइए।

सभी का मूल्यांकन कीजिए और अपने कारण बताते हुए सबसे अच्छा विकल्प स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 12.

मान लीजिए कि आप ऐसी कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं, जो एक सरकारी विभाग के द्वारा प्रयुक्त विशेषीकृत इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाती है। आपने विभाग को उपस्कर की पूर्ति के लिए अपनी बोली पेश कर दी गई है। आपके ऑफर की गुणता और लागत दोनों आपके प्रतिस्पर्धियों से बेहतर हैं। इस पर भी संबंधित अधिकारी टेंडर पास करने के लिए मोटी रिश्वत की मांग कर रहा है। ऑर्डर की प्राप्ति आपके और आपकी कंपनी, दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। ऑर्डर न मिलने का अर्थ होगा उत्पादन रेखा का बन्द कर देना। यह आपके स्वयं के कैरियर को भी प्रभावित कर सकता है। फिर भी, मूल्य-सचेत व्यक्ति के रूप में आप रिश्वत देना नहीं चाहते हैं।

रिश्वत देने और ऑर्डर प्राप्त कर लेने, तथा रिश्वत देने से इनकार करने और ऑर्डर को हाथ से निकल जाने-दोनों के लिए वैध तर्क दिए जा सकते हैं। ये तर्क क्या हो सकते हैं? क्या इस धर्मसंकट से बाहर से बाहर निकलने का कोई बेहतर रास्ता हो सकता है? यदि हां, तो इस तीसरे रास्ते की अच्छाइयों की ओर इंगित करते हुए उसकी रूपरेखा प्रस्तुत कीजिए।

प्रश्न 13.

रामेश्वर ने गौरवशाली सिविल सेवा परीक्षा को सफलतापूर्वक पास कर लिया और वह ऐसे सुअवसर से अभिभूत था जो सिविल सेवा के माध्यम से देश की सेवा करने के लिए उसको मिलने वाला था। परन्तु, सेवा का कार्यग्रहण करने के शीघ्र बाद उसने महसूस किया कि वस्तुस्थिति उतनी सुन्दर नहीं है जितनी उसने कल्पना की थी।

उसने अपने विभाग में व्याप्त अनेक अनाचार पाए। उदाहरण के रूप में, विभिन्न योजनाओं और अनुदानों के अधीन निधियां दुर्विनियोजित की जा रही थी। सरकारी सुविधाओं का अक्सर अधिकारियों और स्टाफ द्वारा व्यक्तिगत आवश्यकताओं के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। कुछ समय के बाद उसने यह भी देखा कि स्टाफ को भर्ती करने की प्रक्रिया भी दोषपूर्ण थी। भावी उम्मीदवारों को एक परीक्षा लिखनी होती थी जिसमें काफी नकलबाजी चलती थी। कुछ उम्मीदवारों को परीक्षा में बाह्य सहायता भी प्रदान की जाती थी। रामेश्वर ऐसी घटनाओं को अपने वरिष्ठों की नजर में लाया। परन्तु, इस पर उसको अपनी आँखे, कान और मुख बंद रखने और इन सभी चीजो को नजरअंदाज करने की सलाह दी गई। यह बताया गया कि सब उच्चतर अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा था। इससे रामेश्वर का भ्रम टूटा और वह व्याकुल रहने लगा। वह सलाह के लिए आपके पास आता है।

ऐसे विभिन्न विकल्प सुझाइए, जो आपके विचार में, ऐसी परिस्थिति में रामेश्वर के लिए उपलब्ध हैं। इन विकल्पों का मूल्यांकन करने और सर्वाधिक उचित रास्ता अपनाने में आप उसकी किस प्रकार सहायता करेंगे?

प्रश्न 14.

हमारे देश में, ग्रामीण लोगों का कस्बों और शहरों की ओर प्रवसन तेजी के साथ बढ़ रहा है। यह ग्रामीण और नगरीय दोनों क्षेत्रों में विकट समस्याएं पैदा कर रहा है। वास्तव में, स्थिति यथार्थ में अप्रबन्धनीय होती जा रही है। क्या आप इस समस्या का विस्तार से विश्लेषण कर सकते हैं और इस समस्या के लिए जिम्मेदार न केवल सामाजिक-आर्थिक, वरन् भावनात्मक और अभिवृत्तिक कारकों को बता सकते है? साथ ही, स्पष्ट रूप से उजागर कीजिए कि क्यों-

1- शिक्षित ग्रामीण युवा शहरी क्षेत्रों में स्थानांतरित होने की कोशिश कर रहे हैं_
2- भूमिहीन निर्धन लोग नगरीय मलिन बस्तियों में प्रवसन कर रहे हैं
3- यहां तक कि कुछ किसान अपनी जमीन बेच रहे हैं और शहरी क्षेत्रे में छोटी-मोटी नौकरियां लेकर बसने की कोशिश कर रहे हैं।

आप कौन-सा साध्य कदम सुझा सकते हैं, जो हमारे देश की इस गंभीर समस्या का नियंत्रण करने में प्रभावी होंगे?

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Courtesy: UPSC